kanda mela pauri garhwal

श्रीनगर गढ़वाल:  पौड़ी गढ़वाल में कोट ब्‍लॉक के अंतर्ग कांडा गांव स्थित मंजूघोषेश्वर महादेव मंदिर में दो दिवसीय मंजीन कांडा मेला शनिवार से शुरू हो गया है। दो दिवसीय मंजीन कांडा मेला के पहले दिन (छोटा कांडा मेला) शनिवार को पूजा-अर्चना के साथ मंदिर के कपाट सुबह करीब 7:30 बजे पुजारियों द्वारा भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए गए। जिसके बाद मंदिर में श्रधालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

इस मौके पर आस-पास के छह दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों के साथ ही प्रदेश तथा देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचे। मजीन कांडा सेवा समिति के माध्यम से प्रतिवर्ष बांटी जाने वाली झंडियों में इस वर्ष लगभग 50 झंडियां मेला समिति ने वितरित की हैं। मेला समिति के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद भट्ट ने बताया कि निशान चढ़ाने का सिलसिला छोटे कांडा से शुरू हुआ है, जो कि रविवार को बडे़ कांडा के दौरान भी जारी रहेगा। कांडा गांव से ठीक 11:30 बजे पर धारकोट तल्ला ऋषिकेश का पहला निशान पहुंचा। जिसके बाद करीब  2:20 बजे मां मंजू देवी की डोली मंदिर में पंहुचने के बाद निशानों को चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होने बताया कि मंदिर तक पहुंच रहे निशानों के साथ विभिन्न गांवों से पहुंचे छत्र भी शामिल थे, जो माता मंजूघोष से अपने-अपने गांवों व परिवारों के सुख-समृद्धि की कामना के लिए पहुंचे। उन्होंने बताया कि सांय तक 27 निशान मन्दिर चढ़ाए गये। कल मेले में और अधिक श्रधालुओं के पहुँचने की उम्मीद है।

श्रीनगर गढ़वाल से करीब 20 किलोमीटर देहलचौरी स्थित मंजूघोषेश्वर महादेव मंदिर में लगने वाला कांडा मेला कभी पशुबलि के लिए विख्यात था। यहाँ सैकड़ों भैंसे/बकरों को बलि माँ काली को चढ़ाई जाती थी। परन्तु पूरे गढ़वाल में पशुबलि के लिए प्रसिद्ध रहे इस स्थल पर पिछले कई वर्षों से बलिप्रथा पूरी तरह से खत्म हो गई है। हालाँकि बलिप्रथा ख़त्म होने के बाद भी कांडा मेले का महत्व कम नहीं हुआ है। क्षेत्र की जनता को मेले का उसी बेसब्री से इन्तजार रहता है।