श्रीनगर गढ़वाल : उत्तराखंड की प्रसिद्ध नाट्य संस्था “शैलनट” की श्रीनगर शाखा एक बार फिर से रंगमंच के लिए कमर कस चुकी है। शहर की सबसे पहली और करीब साढ़े तीन दशक पुरानी इस नाट्य संस्था की नवीन कार्यकारिणी का गठन रविवार को किया गया। इसमें अभिषेक बहुगुणा को अध्यक्ष व योगेंद्र कांडपाल को सचिव चुना गया।
साथ ही रविवार शाम को शैलनट नाट्य संस्था की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रसिद्ध रंगकर्मी विमल बहुगुणा द्वारा की गई। बैठक में संस्था के विशिष्ट कार्यों को याद करते हुए एक बार फिर से संस्था की गतिविधियों को सक्रियता देने पर बल दिया गया। इस दौरान संस्था के गौरवशाली अतीत पर चर्चा करते हुए एकबार से फिर नाट्य विधा के क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया। इस अवसर पर शैलनट की स्थापना और गौरवशाली इतिहास के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध रंगकर्मी और एनएसडी स्नातक श्रीष डोभाल ने राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी स्तरीय रंगमंच को पहुंचाने के उद्देश्य से वर्ष 1984-85 में शैलनट की स्थापना की थी। तब से संस्था लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय है और अब तक देश के विभिन्न मंचों पर दर्जनों महत्वपूर्ण व अविस्मरणीय प्रस्तुतियां दे चुकी है। 1986 में दूरदर्शन पर प्रसारित खजुराहो के शिल्पी नाटक की प्रस्तुति शैलनट द्वारा ही दी गई थी।
इस अवसर पर संस्था की नाट्य सक्रियता फिर से बढ़ाने के लिए नवीन कार्यकारिणी का गठन भी किया गया। इसमें पहली बार युवाओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई। संरक्षक विमल प्रसाद बहुगुणा की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से अभिषेक बहुगुणा को अध्यक्ष, योगेंद्र कांडपाल को सचिव, मनोजकांत उनियाल को उपाध्यक्ष, हेमचन्द्र ममगांई को कोषाध्यक्ष, शशांक जमलोकी को सह सचिव, अरविंद टम्टा को मीडिया प्रभारी बनाया गया। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कवि व वरिष्ठ रंगकर्मी जयकृष्ण पैन्यूली, महेश गिरि, हेमन्त उनियाल, देवेंद्र उनियाल, अंकित रावत आदि को कार्यकारी सदस्य नामित किया गया। नवनियुक्त अध्यक्ष अभिषेक बहुगुणा ने बताया कि शैलनट जल्द ही नाटक मंचन की श्रृंखला को फिर से शुरू करेगा। सबसे पहले गढ़वाली नाट्य खाडू लापता का मंचन किया जाएगा। इसके बाद देवलगढ़, नहुष जैसे ऐतिहासिक व पौराणिक नाटकों के अलावा लोक नाट्य भी मंचित किए जाएंगे।
शैलनट के प्रसिद्ध नाट्य मंचन
खजुराहो के शिल्पी (दूरदर्शन), एक और द्रोणाचार्य, आषाढ़ का एक दिन, मृच्छकटिकम्, नन्दा देवी राजजात, जीतू बगड्वाल, अन्धायुग, आधे-अधूरे, कथा शकार की, मैं भी मानव हूं आदि।
संस्था के गौरवशाली अतीत की ध्वजवाहक हस्तियां
शैलनट की स्थापना सन् 1985 में प्रसिद्ध रंगकर्मी एनएसडी स्नातक श्रीष डोभाल ने की थी। कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में अभिनय कर चुके वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगांईं इसके पहले अध्यक्ष चुने गए। डॉ. प्रकाश नौटियाल सचिव व इंजीनियर एनपी सिंह कोषाध्यक्ष बनाए गए। गढ़वाल क्षेत्र की लोक कलाओं और लोकवाद्य ढोल को अंतरराष्ट्रीय फलक तक पहुंचाने वाले प्रो डीआर पुरोहित, कई क्षेत्रीय, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में अभिनय कर चुके विमल प्रसाद बहुगुणा आजीवन सदस्य बनाए गए। इस छोटे से प्रयास के साथ श्रीनगर में रंगमंच का सूत्रपात हुआ।
1988-89 में बीएड की छात्रा एवं शैलनट की सदस्या रही सीमा वैष्णव ने “एक और द्रोणाचार्य” के नाट्य मंचन में डॉ. प्रकाश नौटियाल के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी।