आचार्य बालकृष्ण पतंजलि योगपीठ

पतंजलि योगपीठ मे रविवार, 4 अगस्त को आचार्य बालकृष्ण महाराज का जन्म दिवस जड़ी बूटी दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के तत्त्वावधान में Integrated Approach to Autoimmune Disorders विषय पर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए उत्तराखण्ड की महामहीम राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मोर्य ने कहा कि स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण महाराज के सानिध्य में पतंजलि योगपीठ ने योग एवं आयुर्वेद को देश में ही नहीं अपितु विश्वभर में ख्याति दिलाई है। उन्होंने कहा कि योग का उद्भव उत्तराखंड से हुआ, इसलिए उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। हमारी ऋषि परम्परा में योग व आयुर्वेद मानव जीवन का आधार है। योग जीवन में सकारात्मक संतुलन स्थापित करता है तथा आयुर्वेद आरोग्य प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आमजन को जड़ी-बूटी की पहचान व प्रयोग के ज्ञान से परिचित कराना नितान्त आवश्यक है।

आचार्य बालकृष्ण पतंजलि योगपीठ

इस अवसर पर योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि को दुनिया में योग और आयुर्वेद की सबसे बड़ी संस्था बनाने में आचार्य बालकृष्ण का अहम योगदान है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन क्रियाशील, गुणात्मक, रचनात्मक और समाज की सेवा में समर्पित किया हुआ है। आचार्य बालकृष्ण के जन्म दिवस पर एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया। इस दौरान इफ्को के सहयोग से नीम के चालीस हजार पौधे निशुल्क वितरित किए गए। इससे पूर्व राज्यपाल ने पौधारोपण किया।

इस मौके पर समारोह में उत्तराखंड की राज्यपाल महामहिम बेबी रानी मोर्य, नेपाल के वित्त मंत्री किरण गुरुंग, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, डॉ. हरक सिंह रावत, इफ्को के डायरेक्टर योगेन्द्र वर्मा, पिरान कलियर से छोटे मियां के नेतृत्व में मुस्लिम समाज के लोग, वीर रस के कवि डॉ. हरिओर पंवार, नीरज नैथानी, माधुरी नैथानी आदि मौजूद रहे।