Adi Shakti Kansamardini Mata Temple located in Srinagar Garhwal

उत्तराखंड को देवभूमि व ऋषि मुनियो की तपस्थली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि ऋषि मुनियो ने उत्तराखंड के घने आच्छादित जँगलो में आकर तपस्या करके परमसत्ता के साथ आत्मसात किया। यहाँ प्राचीन शिलालेख इस बात के जीता जागता उदाहरण हैं।

यहाँ आध्यात्मिकता चरमकाष्टा के रूप में रही। हर स्थान पर पवित्र मन्दिरो की अद्भुत छटा देखने को मिलती है। ये पवित्र मन्दिर तीर्थ स्थल के रूप में जाने जाते हैं। जहाँ आकरके भक्तो को अलौकिक शान्ति मिलने के साथ ही सम्पूर्ण मनोरथ भी पूर्ण हो जाते हैं। इसी तरह का आस्था का केन्द्र बिन्दु मा कंसमर्दिनी का मन्दिर है। जो कि ऋर्षिकेश से 104 किमी दूर श्रीनगर गढवाल में स्थित है। इसका वर्णन केदारखन्ड और विष्णु पुराण के क्ई अध्यायों में देखने को मिलता है। यह स्थान गोलाबाजार थाना से आगे अलकनंदा की तरफ स्थित है। मान्यता है कि द्वापर युग में नन्दन के घर में एक सुन्दर कन्या ने जन्म लिया था। मथुरा नरेश कंस के डर से दोनों बच्चों को इधर से उधर कर दिया। कंस को जैसे ही देवकी के आठवेँ सन्तान की खबर मिली तो कंस ने उसे पटक कर मारना चाहा। वह खुले आकाश में योगमाया बनकर कंस को सचेत करते हुए कहती है कि तुझे मारने वाला जन्म ले चुका है। यही योगमाया कंसमर्दिनी के नाम से प्रसिद्ध हुई। श्रीनगर के कंसमर्दिनी के शिलालेख में योगमाया की मूर्ति स्थित है। कन्या स्वरुप में होने से ताम्रपत्र से ढकी रहती है।

लेखक : अखिलेश चन्द्र चमोला, राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित, श्रीनगर गढवाल