bhalu ka parivar

पौड़ी: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले कुछ समय से भालुओं और गुलदारों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य के गढ़वाल से लेकर कुमाऊं रीजन में कई जिलों में दहशत व्याप्त है। अब तक उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, पिथौरागढ़ आदि जनपदों में भालू के हमले में कई लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई लोग घायल हैं। पौड़ी जिले में इन दिनों पैठाणी रेंज, कल्जीखाल, पोखड़ा और थलीसैंण क्षेत्रों में भालू की सक्रियता बढ़ी है। जहां बीते सालों में भालू की आवाजाही बहुत कम देखने को मिलती थी, वहीं इस बार मात्र दो महीनों में इसकी गतिविधियां कई गुना बढ़ गई हैं, जिससे स्थानीय लोगों का जीना दूभर हो गया है।

स्कूल जा रही छात्राओं के रास्ते में आ धमका भालू का पूरा परिवार

पौड़ी के जनपद के विकास खंड कल्जीखाल के अंतर्गत पट्टी मनियारस्यूं की ग्राम पंचायत डांगी के राजकीय उच्चतर माध्यम विद्यालय डांगी में पढ़ने वाले बच्चे आज सुबह 9 बजे विद्यालय जा रहे थे। इसीबीच विद्यालय के मार्ग पर थोड़ी दूर भालू अपने बच्चों के साथ बेखौफ होकर जा रहा था। गनीमत रही कि भालू की नजर बच्चों पर नहीं पड़ी। हालांकि विद्यालय के परिचारक दिनेश चौहान भी छात्राओं के साथ थे। अचानक भालू की दिखाई देने पर छात्र-छात्राओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। जिसके बाद गांव के ग्रामीण पटाखे और ढोल दमाऊ लेकर शोर मचाते हुए पहुंचे और भालू को खदेड़ा। जिसके बाद अभिभावक बच्चों को लेकर घर लौट आए। अभिभावकों में भालू की दहशत बनी हुयी है।

समाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी ने बताया कि इस क्षेत्र में भालू के साथ साथ गांव गुलदार की भी सक्रियता बनी हुई है। गाँव की सरहद पर दो गुलदारों को भी देखा गया। स्कूली बच्चों को पहले भी कई बार गुलदार और भालू मिल चुका है। जिसके चलते बच्चों के अभिभावकों ने उच्च अधिकारियों से कुछ समय के लिए विद्यालय को गांव में खाली पड़ी प्राइमरी स्कूल में कक्षाएं संचालन करने की मांग की थी। ताकि भिभावक अपने बच्चों को जंगली जानवरों से सुरक्षित रख सकें। हालांकि विद्यालय में मात्र 6 बच्चे ही पढ़ते है। जिसमें 3 बच्चे थनूल गांव के और 3 बच्चे डांगी गांव के हैं। प्रभारी प्रधानाचार्य नीलम रावत का कहना है कि प्राइमरी विद्यालय संचालित करने लायक नहीं है। जंगली जानवरों सुरक्षा को लेकर कल उन्होंने अभिभावकों की एक आपात बैठक बुलाई है।

वहीँ समाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी ने बताया कि प्राइमरी विद्यालय पूरी तरह संचालित करने की स्थिति में है। मतदान के लिए निरंतर भवन उपयोग किया जाता है। जिसमें राजस्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट निर्वाचन अधिकारी को भेजी थी। उसके बाद ही पोलिंग पार्टियां उक्त विद्यालय में रहते हैं। इसके अलावा उनके पास विकल्प के तौर पंचायत भवन भी है। उन्होंने कहा मात्र 6 छात्राओं पढ़ाने के लिए प्राइमरी विद्यालय और पंचायत भवन पर्याप्त है। उन्होंने बताया कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक चिंतित है।

खंड शिक्षा अधिकारी कल्जीखाल संजय कुमार ने बताया कि वह स्वयं प्राइमरी विद्यालय का औचिक निरीक्षण कर देखेंगे कि भवन विद्यालय संचालित करने लायक है या नहीं। उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा।

चमोली में बच्चे सीटियां बजाकर स्कूल से पहुंच रहे घर

चमोली जिले में हर क्षेत्र में कई भालू सक्रिय हैं। जिले में भालू की दहशत थमने का नाम नहीं ले रही है। गोपेश्वर से लेकर ज्योतिर्मठ, पोखरी विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह हर दिन भालू नजर आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सबसे ज्यादा चिंता स्कूल जाने वाले बच्चों को लेकर है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को तो कई किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है ऐसे में वह रास्ते में सीटियां बजाते और शोर मचाकर स्कूल पहुंचते हैं ऐसा ही वह स्कूल से घर पहुंचने के दौरान करते हैं। बच्चों के घर पहुंचने तक अभिभावकों की चिंता बनी रहती है। जबकि कई जगहों पर अभिभावक बच्चों को समूह बनाकर स्कूल छोड़ने के लिए पहुंचते हैं।

उत्तरकाशी में भी भालू के हमलों 

उत्तरकाशी जनपद में पिछले नौ माह में भालुओं के 13 हमले की घटनाओं में दो महिलाओं की मौत और 12 लोग घायल हो चुके हैं। वहीं दो मवेशियों की मौत और एक घायल हुआ है। जनपद में भालुओं के हमले की घटनाएं रुकने के नाम नहीं ले रही है। बृहस्पतिवार सुबह रैथल गांव के मथाली के नालमा नामे तोक में हरीश कुमार पानी भरने गए थे। तभी झाड़ियों में छुपे हुए भालू ने उन पर अचानक हमला कर दिया। हमले में हरीश के सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आई है। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने किसी तरह शोर मचाकर भालू को भगाया। उसके बाद घायल को उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भटवाड़ी पहुंचाया। वहां पर प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल के बाद हायर सेंटर रेफर किया गया।

रुद्रप्रयाग जनपद में भी भालू की दहशत

द्रप्रयाग जिले में भालू का आतंक थम नहीं रहा। जनवरी से अब तक भालू यहां 15 लोगों को जख्मी कर चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में भालू की लगातार सक्रियता बनी हुई है। धनपुर पट्टी के कई गांवों में इन दिनों भालू का आतंक बना है। बीती सांय चिनग्वाड़ में गांव के पास एक साथ तीन भालू दिखने से लोग दहशत में आ गए। ग्रामीणों द्वारा शोर-शराबा करने के बाद भालू जंगल की ओर भागे। हरियाली वैली क्षेत्र में तो पिछले कई दिनों से लगातार भालू के हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं। बीते बुधवार को जिले के कोट मल्ला क्षेत्र में भालू ने फिटर भरत सिंह चौधरी पर तब हमला बोल दिया, जब वह ग्राम पंचायत के टैंक में पानी खोलने गए थे। इस अचानक हुए हमले से घबराने के बजाय भरत सिंह भालू से भिड़ गए और मौका मिलते ही पेड़ पर चढ़कर जान बचाई। इसके बाद भालू जंगल में भाग गया।