महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, कुशल प्रशासक, ‘भारत रत्न’ और उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ (जीबी) पंत जयंती पर देश उन्हें याद कर नमन कर रहा है। पंत जी के जन्मदिवस पर उत्तराखंड में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर राजधानी देहरादून में गोविंद बल्लभ के जन्मदिवस पर मुख्यमंत्री धामी ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। ‘मुख्यमंत्री धामी ने कहा पंत जी एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देशभक्त, समाजसेवी तथा कुशल प्रशासक थे’। सीएम धामी ने कहा कि पंत ने देश को नई दिशा दी।
बता दें कि देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जीबी पंत का जन्म 10 सितंबर, 1887 को अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में हुआ था। प्रारंभिक पढ़ाई करने के बाद गोविंद बल्लभ 1905 में अल्मोड़ा से इलाहाबाद आ गए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की और काशीपुर में वकालत शुरू कर दी। उस दौरान कांग्रेस पार्टी ने स्वतंत्रता सेनानी-क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और काकोरी मामले में शामिल अन्य क्रांतिकारियों के मुकदमे की पैरवी के लिए उन्हें वकील नियुक्त किया। 1914 में उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आंदोलनों में हिस्सा लेना शुरू किया। 1921 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत की विधानसभा के लिए चुने गए।
आजादी के लिए आंदोलनों में भाग लेने पर अंग्रेजों ने पंत को कई बार गिरफ्तार किया
1930 में पंत जी ने महात्मा गांधी के ‘नमक सत्याग्रह’ में भाग लिया, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। अंग्रेजों ने उन्हें कई बार गिरफ्तार किया। बता दें कि 1940 में नमक सत्याग्रह आंदोलन को संगठित करने में मदद के आरोप में अंग्रेजों ने फिर पंत को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। उसके बाद भारत छोड़ो प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए 1942 में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया। मार्च 1945 तक उन्होंने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के अन्य सदस्यों के साथ अहमदनगर किले में तीन साल बिताए। बाद में उनके गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंत की रिहाई के लिए अनुरोध किया। उसके बाद गोविंद बल्लभ को जेल से रिहा कर दिया गया।
संयुक्त प्रांत में 1946 के चुनावों में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया और उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया। वे 1946 से 1947 तक संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के मुख्यमंत्री रहे। उसके बाद 10 जनवरी, 1955 को उन्होंने भारत के गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाला। गौरतलब है कि गोविंद बल्लभ पंत के कार्यों को देखते हुए उनके नाम पर देश के कई अस्पताल, शैक्षणिक संस्थानों का नाम रखा गया है। हिंदी को राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित कराने में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। एक स्वतंत्र कार्यकर्ता, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के रूप में अपनी निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें 1957 में गणतंत्र दिवस पर देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया । महान स्वतंत्रता सेनानी और कुशल राजनीतिज्ञ गोविंद बल्लभ पंत का 7 मार्च 1961 को निधन हो गया।
शंभू नाथ गौतम