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नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में करीब 10 साल पहले 09 फरवरी 2012 को उत्तराखंड की निर्भया का अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में जेल में बंद तीनों अपराधियों को फांसी दिलाने की मांग को लेकर उत्तराखंडी समाज फिर से दिल्ली की सड़कों पर उतरने को मजबूर हुआ है।

बहुत कम लोगों को पता होगा कि नवम्बर 2012 पूरे देश को झकझोर देने वाले मुनिरका, दिल्ली में निर्भया के साथ हुए गैंगरेप और नृशंस हत्या से पहले भी दिल्ली के नजफगढ़ में 9 फरवरी, 2012 को कुछ इसी तरह नरपिशाचों ने देश की एक और बेटी के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। यही नहीं उन अपराधियों द्वारा उस बिटिया के परिवार को जो कि नजफगढ़ में किराये पर रहता है को चुप रहने की धमकी दी गयी थी। पीड़ित परिवार अपराधियों को सजा दिलाने के लिए दर-दर भटकता रहा। जिसके बाद समाज के कुछ जागरूक लोगों के सहयोग से परिवार को सम्बल मिला और अपराधी सलाखों के पीछे हुए लेकिन तब से आजतक परिवार को यह दर्द सालता रहता है कि कब इन दरिंदों को फांसी होगी?

दिल्ली एनसीआर की सभी संस्थाओं के सहयोग से और नजफगढ़ की दामिनी न्याय संघर्ष समिति व उत्तराखण्ड एकता मंच, उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली समेत कई संगठनों ने इस मुद्दे जोर शोर से उठाकर इसे एक आंदोलन बनाया। द्वारिका कोर्ट में आये दिन धरना, प्रदर्शन और कैंडल मार्च इस बात की गवाही हैं  कि अपराधियों को उच्च न्यायालय से फांसी की सजा हो चुकी है।

वर्तमान में यह केस सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है। आज जबकि इस केस में फैसला आने वाला है तो पीड़ित परिवार के दर्द फिर से हरे हो चुके हैं। परिवार की मांग है कि इन दरिंदों को फांसी की सजा हो और उनको न्याय मिले तभी उनकी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी।

इसी को लेकर विगत 29 अप्रैल, 2022 को गढ़वाल भवन, दिल्ली में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने एक बैठक की। जिसमे पुरजोर ढंग से मांग की गई कि नजफगढ़ की दामिनी के हत्यारों को फांसी हो। ताकि आगे से कोई भी दरिंदा इस प्रकार की हैवानियत करने से पहले सौ बार सोचे और न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बना रहे।

इस अवसर पर इस केस को देख रही वरिष्ठ समाजसेवी, परी फाउंडेशन से  सुश्री योगिता स्याना, वरिष्ठ अधिवक्ता वीर सिंह नेगी, उत्तराखण्ड एकता मंच के सयोंजक डॉ विनोद बछेती, उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच के संयोजक दिनेश ध्यानी, अनिल पंत, दयाल नेगी, साहित्यकार रमेश चन्द्र घिल्डियाल, जगमोहन सिंह रावत, भूकानून संघर्ष समिति से श्रीमती प्रेमा सिंह धोनी, सरिता कठैत, जगत बिष्ट, भयात संस्था से रोशनी चमोली, और नजफगढ़ की दामनी के परिजनो समेत समाज की कई संगठनों के लोग उपस्थित थे।  सबका यही मानना था कि सर्वोच्च न्यायालय दोषियों को शीघ्र ही फांसी की सजा देगा।  इस केस को सबसे पहले समाज की सामने लाने वालों में सुमार उत्तराखण्ड जागरण के सम्पादक सतेन्द्र सिंह रावत आदि ने  विश्वाश जताया कि सर्वोच्च न्यायालय दोषियों को शीघ्र ही फांसी की सजा देगा।

इस अवसर पर एक स्वर में यह बात भी सामने आयी कि देश और समाज में ऐसी घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं।  ऐसे दरिंदों को सजा दिलाने के लिए समाज के हर वर्ग सामने आकर एक जुट होकर अपनी बात रखनी होगी ताकि अपराधी किसी भी कीमत पर बच न सकें और आगे कोई भी दरिंदा समाज में अपराध करने से डरेगा।

यह थी वह  झकझोर देने घटना

बता दें कि दिल्ली के नजफगड़ में रहने वाली उत्तराखंड की बेटी किरन नेगी 9 फरवरी 2012 को गुडगाँव स्थित कम्पनी से काम करके अपनी तीन सहेलियों के साथ रात करीब 8:30 बजे नजफगढ़ स्थित छाँवला कला कालोनी पहुंची थी कि तभी कार में सवार तीन वहसी दरिंदों ने तीनो लड़कियों से बदतमीजी करनी शुरू कर दी। जैसे ही तीनों लड़कियां वहां से भागने लगी उसी दौरान तीनो दरिन्दे किरन को जबरन कार में बिठाकर वहां से ले गए। और उसका सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसके आँख, कान में तेज़ाब डालकर हैवानियत की सारी हदें पार कर उसकी लाश को हरियाणा के खेतों में फेंक कर चले गए। उसकी सहेलियों ने किरन के अपहरण की खबर पुलिस व उसके घरवालों को दी। परन्तु पुलिस ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की।

जिसके बाद उत्तराखंड समाज के लोगों ने सड़कों पर निकलकर इस घटना का जबरदस्त विरोध किया जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और 14 फरवरी को किरन की लाश सदी गली हालत में पुलिस को हरियाणा के खेतों से मिली। और पुलिस ने अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। जिसके बाद द्वारका कोर्ट ने दोषियों को फाँसी की सजा निर्धारित की और फिर हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा। अब 10 साल बाद सुप्रीम कोर्ट इन आरोपियों की सजा पर अंतिम सुनवाई देने जा रहा है। इसी को लेकर दिल्ली/एनसीआर की तमाम उत्तराखंडी सामाजिक संस्थाओं के लोग 6 मई को शाम 5 बजे जंतर-मंतर पर कैंडल मार्च निकाल कर माननीय जजों से नजफ़गढ़ की निर्भया को शीघ्र न्याय देने की मांग करेंगे।