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fraud corona testing in Haridwar Kumbh : हरिद्वार महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की फर्जी कोरोना जांच के मामले में पुलिस ने एक फर्म समेत दो प्राइवेट लैब के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। हरिद्वार के सीएमओ की शिकायत पर मैक्स कॉर्पोरेट सर्विस, दो दिल्ली की लालचंदानी और हिसार की नालवा लैब के खिलाफ धोखाधड़ी, आपदा एक्ट, क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी जैसी अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

हरिद्वार शहर कोतवाली में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विस नामक कंपनी को हरिद्वार कुंभ मेला के दरिम्यान कोरोना जांच का काम दिया गया था। उसने नलवा लैबोरेटीज हिसार हरियाणा और डा. लाल चंदानी लैब दिल्ली के माध्यम से यह काम कराने की जानकारी दी थी। आरोप है कि नामजद संस्थाओं ने कोरोना जांच के नाम पर फर्जी इंट्री की। ज्यादातर इंट्री राज्य के बाहर की लोकेशन पर दिखाई गई। एक ही पते और एक ही मोबाइल नंबर के पंजीकरण पर कई सैंपल होना दर्शाया गया। हरिद्वार सीमा पर नेपाली तिराहे के पास बने जांच केंद्र में एक ही पते पर 3825 व्यक्तियों के सैंपल लेना दर्शाया गया। इन संस्थाओं पर आरोप है कि उन्होंने कोरोना जांच की फर्जी इंट्री कर मानव जीवन को खतरे में डाला। साजिश रचकर राज्य के साथ धोखाधड़ी की। यही नहीं सरकारी धन हड़पने की मंशा से जालसाजी भी की। सरकारी आदेशों की अवहेलना का आरोप भी इन पर लगा है।

इस फर्जीवाड़े की जांच अब हरिद्वार जिला प्रशासन को सौंपी गई है। मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। मामले में अन्य खुलासे भी होने लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एंटीजन जांच फर्जीवाड़े में पकड़ी गई लैब को लेकर एक और चैंकाने वाला खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि लैब की ओर से दी गई 90 हजार नेगेटिव रिपोर्ट में से 40 प्रतिशत के करीब फर्जी थीं। जिलाधिकारी ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। डीएम सी. रविशंकर ने लैब पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

कमेटी इस समय इस मामले की जांच कर रही है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लैब ने जांच रिपोर्ट में भारी फर्जीवाड़ा किया। लैब द्वारा की गई कुल एक लाख जांचों में से 10 हजार की रिपोर्ट पॉजिटिव दिखाई गई है। जबकि 90 हजार की रिपोर्ट नेगेटिव दी गई है। हैरानी की बात यह है कि 90 हजार नेगेटिव रिपोर्ट्स में से 40% के करीब फर्जी हैं।

इन रिपोर्टों को फर्जी माने जाने के पीछे वजह यह है कि आईसीएमआर के पोर्टल पर जब रियल टाइम डेटा चेक किया गया तो पता चला कि ये रिपोर्ट राजस्थान से एक बंद कमरे और कुछ सीमित मोबाइल नम्बरों से भरी गई हैं।

कैसे पकड़ में आया मामला ?

फरीदकोट पंजाब के एक व्यक्ति की सजगता से उजाकर हुआ। इस व्यक्ति के मोबाइल पर हरिद्वार में कोरोना जांच कराए जाने का संदेश पहुंचा था, जबकि वह उस दौरान हरिद्वार आए ही नहीं थे। उन्होंने आइसीएमआर से इसकी शिकायत की थी। इसके बाद उत्तराखंड शासन ने इसकी प्रारंभिक जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। एक लाख से ज्यादा फर्जी जांच रिपोर्ट तैयार किए जाने का अंदेशा होने पर प्रकरण की विस्तृत जांच कराने का फैसला किया गया।

ज्यादातर रिपोर्ट निगेटिव

स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि फर्म ने तीन अप्रैल 2021 से 16 मई, 2021 के बीच कुल 104796 सैंपल लिए। संक्रमण दर मात्र 0.18 पाई गई। जबकि, उस समय हरिद्वार की सामान्य संक्रमण दर 5.30 थी। ऐसे में विभाग अधिकांश रिपोर्ट और इंट्री को फर्जी मान रहा है।

कंपनी का पता भी फर्जी

मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विस कंपनी ने स्वास्थ्य विभाग को अपने कार्यालय का नोएडा का जो पता दिया था, वह भी फर्जी निकला। दस्तावेजों में इस पते पर जो फोन नंबर दर्ज फोन नंबर भी आउट ऑफ सॢवस हो चुके हैं। कंपनी ने अपने कॉरपोरेट ऑफिस का पता नोएडा के सेक्टर-63 में बताया है, लेकिन इस पते पर टीन शेड में प्लास्टिक का सामान बनाने वाली एक छोटी फैक्ट्री चल रही है। फैक्ट्री के मालिक आरबी प्रसाद का कहना कि उन्होंने फिलहाल इस जगह को किराये पर ले रखा है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कोरोना जांच घोटाले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सीएम ने यह भी कहा कि यह मामला उनके कार्यकाल से पहले का है। उन्होंने कहा मैं मार्च में मुख्यमंत्री बना और यह प्रकरण पुराना है। सीएम ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी दिल्ली में हुई थी, जिस पर देहरादून लौटते ही जांच बैठा दी। जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।