LUCC chit fund scam in Uttarakhand

LUCC CHIT FUND SCAM: उत्तराखंड में करीब 92 करोड़ रुपये के एलयूसीसी (Loni Urban Multi-State Credit & Thrift Co-operative Society) चिटफंड घोटाले की जांच अब सीबीआई करेंगी। मामले को सीबीआई जांच के लिए हस्तांतरित करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अनुमोदन मिल गया है।

उत्तराखंड में एलयूसीसी चिटफंड कंपनी के खिलाफ अलग-अलग जिलों में 13 से ज्यादा मुकदमें दर्ज है। देश के अन्य राज्यों में भी एलयूसीसी चिटफंड के खिलाफ शिकायत आई है। आरोप है कि फर्जी सहकारी समिति बनाकर उत्तराखंड सहित देशभर में करीब 189 करोड़ की ठगी हुई। इसीलिए उत्तराखंड सरकार इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने जा रही है। एलयूसीसी चिटफंड घोटाले सीबीआई को ट्रांसफर करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी अनुमोदन मिल गया है। अभी तक प्रदेश में एलयूसीसी चिटफंड घोटाले में जितने में भी मुकदमे दर्ज हुए है, उन सबकी जांच CID कर रही थी।

राज्य में खोली थीं 35 शाखाएं

यूएलसीसी ने उत्तराखंड में 35 शाखाएं खोली थीं। जिसमें लोगों को कम समय में अधिक मुनाफे का लालच देकर पैसा जमा कराया गया। विदेश में सोना, तेल, रिफाइनरी सहित अन्य क्षेत्रों में निवेश कर मुनाफे का भी लालच दिया गया। कुछ लोगों की निवेश की गई राशि परिपक्व होने के बावजूद उन्हें पैसा नहीं लौटाया गया। एलयूसीसी चिटफंड कंपनी के खिलाफ पहला मामला एक जून 2024 को सामने आया था। कोटद्वार की रहने वाली तृप्ति नेगी ने कोटद्वार की दुगड्डा शाखा में कार्यरत मैनेजर विनीत सिंह और कैशियर प्रज्ञा रावत पर आरडी खाता खोलने के नाम पर पैसे लेकर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। इस संबंध में कोतवाली कोटद्वार में मुकदमा किया गया, जिसके बाद पौड़ी पुलिस ने संबंधित अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

इसके अलावा पुलिस ने एलयूसीसी चिटफंड कंपनी स्टेट हेड सहित कुल 8 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है, जबकि गिरीश चन्द्र बिष्ट, उत्तम सिंह, समीर अग्रवाल और सबाब हुसैन के खिलाफ LOC नोटिस जारी किए गए थे।

इसके अलावा हाल ही में इस मामले में ऋषिकेश निवासी आशुतोष ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि LUCC  नाम की एक चिटफंड कंपनी ने साल 2021 में प्रदेश के कई जिलों में लोगों को कई तरह के लाभ देने के उद्देश्य से अपना ऑफिस देहरादून, ऋषिकेश समेत पौड़ी में खुलवाए। उसके बाद स्थानीय लोगों को अपना एजेंट नियुक्त किया।

इसके बाद एजेंटों ने भी अपने करीबियों के पैसे इस कंपनी ने निवेश कराए। लोगों ने स्थानीय एजेंटों पर विश्वास कर कंपनी ने अच्छी खासी रकम निवेश की। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में कंपनी ने सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अपना रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया था। साल 2023-24 में यह कंपनी अपने ऑफिस बंद कर चली गई। निवेशकों की शिकायत पर उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में इस कंपनी के खिलाफ 56 मुकदमे दर्ज हुए।