देहरादून: राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी के आहवान पर आज यानी सोमवार 18 अगस्त से प्रदेशभर में गढ़वाल मण्डल से लेकर कुमाऊँ मण्डल तक के हाई स्कूलों/ इंटर कॉलेजों में तैनात शिक्षकों ने चॉक डाउन हड़ताल कर कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। संघ ने यह कदम प्रधानाचार्य पदों पर विभागीय सीधी भर्ती नियमावली के विरोध, प्रधानाध्यापक/ प्रधानाचार्य पद पर शत प्रतिशत प्रमोशन समेत विभिन्न लंबित मांगों को लेकर उठाया है। शिक्षक संघ ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार सकारात्मक कदम नहीं उठाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। राजकीय शिक्षक संघ का दावा है कि 99 प्रतिशत शिक्षकों ने कार्य बहिष्कार में प्रतिभाग किया।
संगठन ने स्पष्ट किया कि सभी स्तरों पर पदोन्नति, स्थानांतरण, प्रधानाचार्य विभागीय सीधी भर्ती नियमावली को समाप्त करना तथा चयन प्रोन्नत वेतनमान स्वीकृत होने पर एक वेतन वृद्धि का लाभ, प्रारंभिक शिक्षा से समायोजित शिक्षकों को पूर्व की सेवाओं को जोड़ते हुए चयन वेतनमान प्रोन्नत वेतनमान स्वीकृत तथा तदर्थ शिक्षकों को सेवा जोड़ते हुए चयन वेतनमान स्वीकृत के स्पष्ट आदेश हेतु संगठन की कई दौर की वार्ता सरकार शासन एवं विभाग से हो चुकी हैं। बावजूद इसके ना तो पदोन्नति हो पा रही है ना ही अन्य समस्याओं का समाधान हो पा रहा है जिस हेतु संगठन ने दो महीने पूर्व विभाग को सूचना दे दी थी कि अगर समय पर समस्त रिक्त पदों पर पदोन्नति नहीं की जाती है तो संगठन आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा विभाग में 17 500 सहायक अध्यापक तथा 12560 प्रवक्ता के पद स्वीकृत हैं जिनके लिए 930 प्रधानाध्यापक तथा 1385 प्रधानाचार्य के पदोन्नति के पद हैं परंतु सरकार द्वारा अपनी ही व्यवस्था को समाप्त करते हुए शिक्षकों के साथ छलावा किया जा रहा है।
बगैर संगठन को विश्वास में लिए 50 प्रतिशत प्रधानाचार्य के पद सीधी भर्ती के लिए दे दिए गए जो की शासनादेश संख्या 74 दिनांक 1 मार्च 2009 के प्रस्तर कर के अनुसार सर्वथा अनुचित है क्योंकि छठे वेतनमान में सभी कार्मिकों को तीन पदोन्नति देने का संकल्प सरकार के द्वारा पारित किया गया था परंतु अध्यापकों के लिए दो ही पदोन्नति के पद हैं प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाचार्य उसमें से भी 50 प्रतिशत आयोग को देना किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं है।
संगठन लगातार पदोन्नति की मांग कर रहा है जो विवाद न्यायालय में हैं वह सभी सरकार की और विभाग की अकर्मण्यता के कारण है विभाग ने पूर्व में वरिष्ठताओं का गलत निर्धारण कर सभी मामलों को जटिल बना दिया। इस जटिलता को समाप्त करने के प्रयास भी नहीं हो रहे हैं।
इस वर्ष सभी विभागों में स्थानांतरण हुए हैं, परंतु शिक्षा विभाग में स्थानांतरण ना होना यह भी विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगता है। शिक्षक एक ही पद पर 3 0 तथा 35 वर्ष की सेवा कर लगातार सेवानिवृत हो रहे हैं। 18 अगस्त से निरंतर कार्य बहिष्कार उसकी पश्चात ब्लॉक मुख्यालय पर धरना जिला मुख्यालय पर धरना, मंडल मुख्यालय पर धरना और अंत में प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन। आमरणनसन किया जाएगा। संगठन इस बार किसी के भी आश्वासन में नहीं आएगा और अपने मांगे मनवाने के बाद ही वापस अपने कार्यक्षेत्र में लौटेगा।
संगठन की ओर से बताया गया है कि हड़ताल का प्रथम चरण 18 अगस्त से 24 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान शिक्षक चॉक डाउन और कार्य बहिष्कार करेंगे। 25 अगस्त को विकासखंड मुख्यालयों पर धरना और घेराव होगा, 27 अगस्त को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन होगा। वहीं 29 अगस्त को मंडल मुख्यालयों पर शिक्षक धरना देंगे। इसके बाद एक सितम्बर से शिक्षा निदेशालय देहरादून में जिलेवार धरना प्रदर्शन किया जाएगा। कहा कि आंदोलन की अवधि में शिक्षक किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण, खेलकूद प्रतियोगिता या अतिरिक्त गतिविधियों में भाग नहीं लेंगे। संघ का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द फैसला नहीं लिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। शिक्षकों का आरोप है कि सीधी भर्ती से योग्य और लंबे समय से सेवा दे रहे शिक्षकों के अधिकारों का हनन हो रहा है।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान, प्रांतीय महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली, उपाध्यक्ष राजकुमार चौधरी, संयुक्त मंत्री जगदीश बिष्ट, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह सजवान, संरक्षक दिनेश नौटियाल, कार्यालय मंत्री अरुण चंद्र रमोला, प्रणय बहुगुणा सभी ने न्यायोचित मांगों का समाधान होने तक लगातार संघर्ष करने का संकल्प दोहराया है।