Badrinath Dham

Badrinath Dham ke kapaat: इस साल विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू हो रही है। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आज सुबह राजदरबार नरेंद्र नगर में धार्मिक समारोह में पंचांग गणना के बाद विधि-विधान ने कपाट खुलने की तिथि तय हुई। इस अवसर पर टिहरी राजपरिवार सहित श्री बदरी-केदार मंदिर समिति, डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

इस वर्ष बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को प्रात: 7:10 बजे पर मंत्रोच्चारण और परंपराओं के साथ खोले जाएंगे। वहीं गाडू घड़ा की तेल कलश यात्रा के लिए 12 अप्रैल का दिन तय किया गया है।

पिछले वर्ष बदरीनाथ धाम में 17 लाख 60 हजार 646 श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, रिकॉर्ड संख्या में गंगोत्री धाम में 624451 तीर्थ यात्री पहुंचे जबकि यमुनोत्री धाम में 485635 तीर्थ यात्रों दर्शनों के लिए पहुंचे। केदारनाथ यात्रा में रिकॉर्ड 15 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। जबकि यात्रा से 211 करोड़ का कारोबार हुआ था।

क्या है गाड़ू घड़ा यात्रा

श्री बदरीनाथ धाम गाड़ू घड़ा (तेल कलश) यात्रा के लिए नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में सुहागिनों द्वारा भगवान बदरीविशाल के लिए तेल पिरोया जाता है। महारानी और सुहागिनों के द्वारा राजमहल में ही तिल का तेल पिरोया जाता है। यह तेल निकाल कर एक कलश में रखा जाता है और उसके बाद तय तिथि पर कलश यात्रा निकाली जाती है। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन भगवान बदरीनाथ का इस तेल से अभिषेक किया जाता है।

राजपरिवार ही करता है तिलों के तेल की व्यवस्था

परंपरा अनुसार टिहरी राजपरिवार ही अभिषेक के लिए प्रयुक्त होने वाले तिलों के तेल की व्यवस्था करता है। इस परंपरा के अनुसार सुहागिन महिलाएं और राजपरिवार की महिलाएं सिलबट्टे और ओखली में तिलों को पीस कर तेल निकालती हैं। उसके बाद तेल को पीले कपड़े से छानकर राजमहल में रखे एक विशेष बर्तन में रखकर आग पर गरम किया जाता है, जिससे उसमें से बचे हुए पानी का अंश निकल जाए।

इस प्रक्रिया के दौरान विधिवत रूप से मंत्रोच्चारण चलता रहता है। देर शाम तक तेल को ठंडा करने के बाद चांदी के विशेष कलश में रखा जाता है। इस कलश को डिमरी पंचायत और बदरीनाथ धाम के रावल के अलावा कोई छू भी नहीं सकता। छह महीने तक बदरीनाथ धाम में हर रोज ब्रह्म मुहूर्त में इसी तेल से बदरीनारायण का अभिषेक किया जाता है।

टिहरी के राजा को मानते हैं बदरीविशाल का अवतार

मान्यता है कि टिहरी के राजा को भगवान बदरी विशाल का अवतार माना जाता है। उनकी कुंडली को देख कर ही राजपुरोहित द्वारा बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त तय किया जाता है। इसी के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू होती है।