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अल्मोड़ा की बेटी ने चेतना लटवाल नया कीर्तिमान बनाया है। चेतना लटवाल ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों की साहसिक यात्रा पूरी कर भारत के अंतिम गांव माणा में चीन सीमा पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया है।

चेतना लटवाल अल्मोड़ा जिले की पहली टीम लीडर हैं जिन्होंने अपने बूते छह सदस्यीय महिला दल की अगुआई की। सात दिन के दुरुह साहसिक सफर की चुनौतियों से भी बखूबी निपटी। इस जुनूनी का अगला लक्ष्य लड़कियों को पर्वतारोहण के लिए प्रेरित कर उन्हें साहसिक गतिविधियों से जोड़ना है।

साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाले राक लिजर्ड ग्रुप से पर्वतारोहण का प्रशिक्षण प्राप्त चेतना लटवाल की अगुआई में बीती सात सितंबर को देहरादून से छह सदस्यीय महिला दल उच्च हिमालयी क्षेत्रों की यात्रा को रवाना हुआ।

साहसिक यात्रियों ने बदरीनाथ, फूलों की घाटी समेत तमाम उच्च पड़ावों को पार कर सबसे ऊंचे हेमकुंड लगभग 4360 मीटर पर पड़ाव डाला। यात्रा के दौरान चेतना व अन्य महिला यात्री चीन सीमा से लगे भारत के अंतिम गांव माणा पहुंची। किसी महिला टीम लीडर की अगुआई में उच्च हिमालयी क्षेत्रों की चढ़ाई और देश के आखिरी गांव पर तिरंगा फहराने वाली चेतना जनपद की पहली पर्वतारोही हो गई हैं।

मूल रूप से विवेकानंदपुरी (अल्मोड़ा) निवासी चेतना लटवाल इससे पूर्व रूपकुंड, पिंडारी ग्लेशियर समेत अन्य उच्च हिमालय की साहसिक यात्रा के दौरान सहायक गाइड के रूप में जिम्मेदारी उठा चुकी हैं। साहसिक यात्रा से वापस लौटते वक्त ‘दैनिक जागरण’ से खास बातचीत में टीम लीडर चेतना ने बताया कि एडम्स बालिका इंटर कालेज से 12वीं पास करने के बाद पर्वतारोही बनने की ललक जागी। इसके लिए राक लिजार्ड ग्रुप से जुड़ साहसिक गतिविधियों की बारीकियां सीखीं। साथ ही एडवेंचर ट्रेवल्स एस्कार्ट निम उत्तरकाशी से बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स किया।

दुनिया की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह करने वाली विख्यात बछेंद्री पाल व जानीमानी पर्वतारोही अर्जुन पुरस्कार विजेता हर्षवंती बिष्ट को अपना आदर्श मानने वाली चेतना अब तक पुरुषों को टक्कर दे केदार कंठा, पिंडारी, सुंदरढूंगा, रूपकुंड, तुंगनाथ, चोपता, देवरियाताल, नामिक ग्लेशियर, धाकुड़ी पास आदि चोटियां चढ़ चुकी हैं।