गजेंद्र सिंह चौहान
उनका जन्म उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में डीडीहाट तहसील के टुंडी गांव में हुआ है। इसी इलाके के प्राथमिक विद्यालय से उन्होंने दर्जा पांच पास की। उनकी माध्यमिक और उच्च शिक्षा-दीक्षा खटीमा में ही हुई। जानकारों ने जानकारी दी है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से उन्होंने उच्चतम शिक्षा के साथ-साथ छात्र राजनीति के दांव-पेंच भी सीखें हैं। साल 2012 में वे खटीमा से विधायक चुने गए। 2017 के विधानसभा चुनावों में वे फिर खटीमा से विधायक चुने गए, लेकिन त्रिवेंद्र रावत सरकार में कैबिनेट बर्थ पाने में नाकाम रहे। मार्च 2021 को जब बीजेपी आलाकमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से चलता कर दिया तो तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी हुई। तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट में बंशीधर भगत और गणेश जोशी को तो मंत्रीपद दिया गया लेकिन साफतौर पर पुष्कर का पत्ता इस बार भी काट दिया गया। फिर बीजेपी आलाकमान को लगा कि तीरथ सिंह के सीएम रहते हुए उत्तराखंड में 2022 के चुनाव में बीजेपी की नैया पार लगना मुश्किल है, तो उप-चुनाव की संवैधानिक बाध्यता का हवाला देकर उत्तराखंड के सीएम के पद से तीरथ रावत भी पदमुक्त कर दिए गए। अब चाहे यह धामी के नाम से छीका फोड़ा गया हो या फिर जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की बीजेपी की रणनीति लेकिन कल तक बीजेपी सरकार में राज्यमंत्री तक नहीं बने पुष्कर सिंह धामी आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं। ना केवल मुख्यमंत्री हैं बल्कि उत्तराखंड में अब तक के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं।
सीएम साहब आप उत्तराखंड में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रच चुके हो लेकिन अब हमको और आपको सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री की उपलब्धि पर हर्षित नहीं होना है। बल्कि आपको सबसे सफल मुख्यमंत्री का इतिहास भी रचना है। आपको अपने ही मंत्रिमंडल के उन उम्रदराज साथियों को भी साधना होगा जो खुद सीएम बनने की वर्षों पुरानी हसरत पाले बैठें हैं। आपको बगावती तेवर दिखाने वाले इन साथियों की धमकियों से नहीं डरना है अपने काम की धमक से उन्हें समझाना, सबक सिखाना है कि यही मौका है जब कुछ कर दिखाना है। सीएम पुष्कर सिंह धामी जी आप उत्तराखंड की आखिरी विधानसभा क्षेत्र खटीमा से आते हैं, उत्तराखंड के हर आखिरी आदमी की आपसे बहुत-बहुत उम्मीदें हैं। इन उम्मीदों पर खरा उतरना आज आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। वरना एक बात उत्तराखंड में इन दिनों जगह-जगह सुनने को मिल रही है कि बीते 22 सालों में उत्तराखंड में सूअर, बंदर और मुख्यमंत्री ही बढ़े हैं गरीब आदमी का रहन-सहन और जीवन स्तर नहीं बढ़ा है।
(यह गजेंद्र सिंह चौहान के निजी विचार हैं। लेखक गजेंद्र सिंह चौहान उत्तराखंड मामलों के जानकार और आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के श्रीनगर विधानसभा के संगठन मंत्री हैं)