श्रीनगर गढ़वाल: श्रीनगर न्यू डांग कॉलोनी में 22 जनवरी से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का मंगलवार को सफल समापन हो गया। कथा वाचक व्यास आचार्य मणिराम पैन्यूली जी के सानिद्ध्य में प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह नेगी के निवास स्थान डांग में आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ अवसर पर 22 जनवरी को नेगी भवन न्यू-डांग से कमलेश्वर महादेव मंदिर होते हुए अलकनंदा नदी के तट तक भव्य कलश यात्रा निकाली गई।
सर्वप्रथम भागवत के माहात्म्य के बारे में श्रद्धालुओं को बताया। आचार्य पैन्यूली जी ने बताया कि भागवत किसी ने बनाया नहीं। भगवान ने अपनी शक्ति से ब्रह्माजी के हृदय में इसे प्रकट किया। ब्रह्मा जी ने यह कथा पहले अपने मानस पुत्र श्री सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार फिर बाद में नारद जी को सुनाई, नारद जी ने भगवान वेद व्यास को, और फिर व्यासपुत्र ऋषि शुकदेव ने सात दिनों तक राजा परीक्षित तथा ऋषि-मुनियों को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई थी। कहा जाता है कि तभी से भागवत सप्ताह सुनने की परंपरा प्रारंभ हुई थी।
उसके बाद व्यास आचार्य मणिराम पैन्यूली ने अपने मुखारविंद से श्रीमद्भागवत कथा में विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, उनके द्वारा की गई विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए श्रद्दालुओं को प्रेरित किया। इस दौरान उनके साथ पधारे आचार्यों ने अपने सुन्दर भजनों एवं कर्णप्रिय संगीत से उपस्थित लोगों मंत्रमुग्ध कर दिया।
श्रीमद् भागवत के सातवें एवं अंतिम दिन कथा वाचक आचार्य मणिराम पैन्यूली ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा सुनाई तथा भगवान श्रीकृष्ण के 16 हजार एक सौ आठ विवाहों के बारे में बताया। अंतिम दिन भागवत कथा को सुनने श्रीनगर डांग क्षेत्र के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। नेगी परिवार द्वारा अंतिम दिन श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया।
श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर व्यास मणिराम पैन्यूली ने कथा सुनने आये भक्तों का आभार प्रकट किया तथा सभी भक्तों से आग्रह करते हुए कहा कि मेरा पिछले सात दिनों से कथा सुनाना और आप लोगों का कथा सुनना तभी सार्थक हो पायेगा जब आप भागवत कथा के दौरान सुनाई गयी अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है।
कथा समापन के बाद नेगी परिवार द्वारा कथा वाचक व्यास आचार्य मणिराम पैन्यूली एवं उनके साथ पधारे समस्त आचार्यों के साथ-साथ विगत सात दिनों तक कथा श्रवण हेतु आए श्रद्धालुओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।