चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा मोटर मार्ग

अल्मोड़ा : अल्मोड़ा जनपद के धौलादेवी विकासखंड के अंतर्गत दशकों से लंबित “चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा” मोटर मार्ग का निर्माण कार्य आख़िरकार शुरू हो गया है. उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के आदेश के बाद ग्रामीणों ने मंगलवार सुबह अपनी पब्लिक कमेटी के माध्यम से भूमि पूजन कर अपने गाँव के मोटरमार्ग का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया है। करीब 14 करोड़ रुपये लागत से बन रही 13 किमी लम्बी इस सड़क के निर्माण से क्षेत्र के दर्जनों गाँवो के हजारों लोग सीधे तौर पर लाभान्वित होंने जा रहे हैं। इस मौके पर ग्रामीणों ने कोर्ट में उनके गाँव की सड़क की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता मदन-मोहन पांडेय और उनके सहयोगी अधिवक्ता पूरन सिंह बिष्ट को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सम्मानित किया।

ज्ञातब्य है कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के द्वारा बीते 23 जुलाई 2020 को सड़क पर किये गए दूसरे मुकदमे को भी खारिज कर सम्बंधित विभाग को तत्काल सड़क निर्माण के आदेश जारी किये गये थे। जिसके बाद गाँव की सड़क के लिए कई वर्षों से कड़ा सँघर्ष कर रही “ग्रामीण विकास जनसंघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने क्षेत्र की आम जनता और अपने अधिवक्ताओं के साथ मिलकर चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा मोटरमार्ग का भूमि पूजन कर सड़क निर्माण का कार्य शुरू करवा दिया है। भूमि पूजन के इस मौके पर कमेटी का केस लड़ रहे पँजाब हाईकोर्ट के अधिवक्ता मदन मोहन पांडेय, कमेटी के प्रबंध निदेशक तथा इस केस में लगातार सँघर्ष कर रहे उत्तराखण्ड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसीडेंट अधिवक्ता पूरन सिंह बिष्ट, कमेटी अध्यक्ष केशव दत्त जोशी, कार्यकारी निदेशक मोहन चंद्र उपाध्याय, सचिव दयाल पांडेय, संयोजक श्रीमती मधु पांडेय, लेखपाल हरीश सिंह बिष्ट, क्षेत्र के वयोवृद्ध मनोरथ उपाध्याय समेत कमेटी के सभी अहम सदस्यों ने भूमि पूजन में हिस्सा लिया।

ज्ञात हो कि चलमोड़ीगाड़ा-कलौटा मोटरमार्ग के विवादों का एक बेहद लंबा इतिहास रहा है। इससे पूर्व में यह तब सुर्खियों में आया था, जब क्षेत्र के आधे दर्जन ग्रामप्रधानों के एक ग्रुप ने उनके पक्ष के ठेकेदार को ठेका ना मिलने की आशंका को देखते हुये सड़क की निविदा पर आपत्ति उठाते हुये एक सामूहिक मेजरनामा लोकनिर्माण विभाग में लगा दिया था। उसके बाद फिर नये सिरे से टेडरिंग हुई थी जो फिर विवादों में उलझ गयी और निविदा से जुड़े एक ठेकेदार ने टेडरिंग में धांधली का आरोप लगाकर निविदा को हाईकोर्ट में चुनौती देकर सड़क को कोर्ट में धकेल दिया था। सड़क को न्यायालय में धकेले जाने से नाराज ग्रामीणों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसके बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान ठेकेदार की याचिका को आधारहीन बताते हुये उसे खारिज कर दिया था। फिलहाल ग्रामीण अब ठेकेदारों से जुड़े तीसरे विवाद से जूझ रहे थे। इस मामले में कमेटी के अधिवक्ता द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने बीते 23 जुलाई को सुनवाई के दौरान दर्ज मुकदमे को खारिज कर सड़क निर्माण के आदेश दिए हैं, जिसके बाद भूमि पूजन के साथ ही सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है।

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