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कल्जीखाल : वैश्विक महामारी कोविड-19 की रोकथाम के लिए देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों से गढ़वाल लौट रहे लोगों को भी प्रशासन द्वारा तय दिशा निर्देशों के मुताबिक 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन रहना पड़ रहा है। हालाँकि प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन्स का लोग अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से पालन कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में देखने में आया है कि बाहरी राज्यों से आने वाले कुछ रसूखदार लोग जो कि अपने निजी वाहनों से गाँव लौट रहे हैं। वे सीधे गाँव ने प्रवेश कर आराम से होम क्वारंटाइन में रह रहे हैं। और वहीँ कुछ लोग जो सार्वजनिक वाहनों से गाँव लौट रहे हैं। उनको गाँव के बाहर स्कूलों में संस्थागत क्वारंटाइन रखा जा रहा है। सही मायने में लॉकडाउन की गॉइडलाइन्स का पालन यही लोग कर रहे हैं।

खैर इसमें उन लोगों को भी दोष नहीं दे सकते हैं जो सीधे होम क्वारंटाइन में चले जा रहे हैं, क्योंकि जब सूबे के कई मंत्री ही अपने हिसाब से लॉकडाउन के दिशानिर्देशों को अमल में ला रहे हैं। तो फिर जनता को क्या कहना है। बहराल सारे नियम, कायदे कानून गरीब जनता के लिए ही हैं। गढ़वाल मंडल में किसी जमाने में एक कहावत कही जाती थी कि अक्सर चालाक लोग “मुखिड़ी देखिकि टुकड़ी” बाँटते थे। आज कोरोना के संकट काल में यह कहावत हकीकत में तब्दील होती नज़र आ रही है। कोरोना का वायरस जब आम और खास में भेदभाव नहीं करता है तो फिर यहां ये भेदभाव कैसा!

पौड़ी जनपद के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत घण्डियाल क्षेत्र में भी लॉकडाउन के दौरान लौटे ज्यादतर लोग अपने वाहनों से आये और होम क्वारंटाइन में रह रहे हैं। यहाँ इस समय मात्र एक परिवार है जो कि सार्वजनिक वाहनों से यहाँ पहुंचा और कन्या हाई स्कूल घण्डियाल में संस्थागत क्वारंटाइन है। यह परिवार बीते 21 मार्च को एक शादी समारोह में शामिल होने दिल्ली गया था और लॉकडाउन में वहीँ फंस गया। और अभी कुछ दिन पहले ही सार्वजनिक वाहनों द्वारा यहाँ पहुंचकर संस्थागत क्वारंटाइन रहते हुए शासन/प्रशासन द्वारा तय लॉकडाउन की गॉइडलाइन्स का पालन कर रहा है। आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इस परिवार द्वारा विद्यालय प्रांगण लगे छायादार वृक्षों के रख रखाव के साथ नजदीक सीएचसी घण्डियाल के आस पास भी झाड़ियां काटी गई।

इसके अलावा पर्यावरण दिवस पर ग्राम डांगी में कवारंटाइन में रहने के बाद पर्यावरण प्रेमी शिशुपाल सिंह चौहान, विनोद कुमार, बलबीर कुमार ने पर्यावरण दिवस पर जल सवंर्धन एवं जल संरक्षण करने के उद्देश्य से प्राकृतिक जल स्रोत के आसपास बांज के वृक्ष लगाए।

जगमोहन डांगी विशेष रिपोर्ट