Cracks and landslides in houses in Joshimath

उत्तराखंड के प्रसिद्ध धार्मिक शहर जोशीमठ में मकानों और होटलों में आ रही दरारों व भू-धसाव ने चिंता बढ़ा दी है। एक तरफ जहां घरों में दरारें पड़ रही हैं तो वहीं जमीन के अंदर से जगह-जगह पानी के फव्वारे फूट रहे हैं। जोशीमठ भू-धंसाव मामले की निगरानी पीएमओ से की जा रही है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने बताया कि पीएमओ की ओर से लगातार मामले में अपडेट लिया जा रहा है। लोगों को यहां किसी तरह की परेशानी न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

वहीँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद जोशीमठ जाने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार की तरफ से वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की गई है, जो जोशीमठ जाकर जमीन धंसने और मकानों में दरार के कारणों का पता लगाएगी। वहीं जोशीमठ को बचाने के लिए आज पांच जनवरी को सुबह लोगों ने बदरीनाथ हाईवे पर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे हाईवे पर लंबा जाम लग गया।  बताया जा रहा है कि भू धंसाव से नगर क्षेत्र के 561 घरों के 3000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। नगर पालिका द्वारा सभी घरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। कई लोगों ने अपना घर भी छोड़ दिया है।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भू-धसाव के ट्रीटमेंट को लेकर शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा कर एसडीएम और जिलाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। महाराज ने कहा कि जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धसाव से अनेक घरों व भवनों में दरारें आने से प्रभावित लोगों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। जल्दी ही इसके लिए पूरा प्लान बनाकर आगे की कार्यवाही की जाएगी। बुधवार को जोशीमठ से 66 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। अब तक 77 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है। राज्य सरकार पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बृहस्पतिवार को विशेषज्ञों का एक दल जोशीमठ रवाना होगा।

महाराज ने एसडीएम और जिलाधिकारी को निर्देश दिये हैं कि लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके रहने के पुख्ता इंतजाम किये जायें। ऐसे मकानों को पहले फेज में शिफ्ट किया जाए जिनमें दरारें अधिक हैं, ताकि किसी बड़े खतरे से बचा जा सके।

विशेषज्ञों के अनुसार जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट है। शहर भूगर्भीय रूप से संवेदनशील है, जो पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर स्थित है। शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है। नदी से होने वाला कटाव भी इस भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार है।