श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखण्ड में श्रीनगर गढ़वाल के नजदीक गहड़ गांव मे तेंदुए को एक महिला पर हमला करना भारी पड़ गया। तेंदुआ व महिला के बीच हुए संघर्ष में महिला ने पत्थर ही पत्थर से तेंदुए को मार गिराया। मगंलवार की सुबह लगभग 10 बजे गहड़ गांव की 38 वर्षीय ममता देवी गांव के पास ही प्राकृतिक जल स्त्रोत पर कपडे़ धो रही थी, कि तभी अचानक उस पर तेंदुआ ने हमला कर दिया। ममता अद्भुत सहास दिखाते हुए तेंदुए से भिड़ गई और उसे पत्थर ही पत्थर से मार दिया।

इसबीच ममता ने बचाव के लिए आवाज भी लगाई लेकिन गांव थोड़ा दूर होने की वजह से ग्रामीण भी बचाव के लिए समय पर नहीं पहुंच सके। जब तक ग्रामीण मदद के लिये मौके पहुंचे तब तक ममता ने हिम्मत नही हारी और अकेली तेंदुए से भिड़ी रही। ममता ने बताया कि उसने हाथों से तेंदुआ के हमलों को रोका और पत्थर से उसके सर पर वार किया। इस हमले मे ममता के सिर पर गम्भीर चोटें आई हैं। और दोनो हाथों पर तेंदुए के नाखूनों से 20 से ज्यादा गहरे छेद हो गए हैं। उनका इलाज श्रीनगर बेस अस्पताल मे चल रहा है। ममता की हालत अब काबू मे है।

इस घटना मे ममता ने अपनी आत्मरक्षा के लिए जंगल के उस फुर्तीले जानवर को मात दी जिसका कोई हमला खाली नही जाता। ऐसे मे ममता का साहस काबिले तारीफ है। वहीं कुछ लोगों ने बताया कि महिला के शोर शराबे के बाद गांव के कुछ लोग वहां पहुंचे तबतक तेंदुआ जिन्दा था और उन्होंने डंडे से तेंदुए के सर पर वार किया, जिससे उसकी की मौत हुई। नागदेव रेंज गढवाल वन प्रभाग के रेंजर एके भट्ट ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद ही तेंदुआ की मौत का पता चल पायेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तेंदुआ कुछ दिनों से भूखा था और उसे शिकार नहीं मिला।

जिसके चलते उसने बस्ती की तरफ आया। श्रीनगर का गहड़ गाँव  के वन मन्त्री डॉ. हरक सिंह रावत का गांव है। ग्रामीणों की शिकायत है कि कुछ दिनों से गांव मे तीन से ज्यादा तेंदुए व उनके शावक घूम रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि आज सुबह ममता पर हमले से पहले घास के लिए जा रही तीन चार महिलाओं पर भी तेंदुआ हमला करने वाला था। लेकिन वे किसी तरह जंगल से वापस भाग गई थी। वहीं ग्राम प्रधान गहड़ ने बताया कि वे इसकी शिकायत पिछले एक महीने से वन विभाग व जिला प्रशासन को कर चुके हैं। लेकिन वन विभाग ने कोई सज्ञांन नही लिया।

इस घटना के बाद वन विभाग व पुलिस की टीम गांव मे पहुंची और ग्रामीणों को सुरक्षा का भरोसा दिया। वहीं वन अधिनियम 1972 के तहत यह जानवर सरक्षिंत प्रजाति का होने के कारण उसकी मौत की जांच वन विभाग द्वारा करवाई जा रही है। हालांकि वन विभाग के क्षेत्राधिकारी का कहना है कि आत्मरक्षा के लिहाज से मानवीय पहलू को भी कार्यवाही के दौरान देखा जायेगा। उन्होने बताया कि तेंदुए की मौत के कारणों का पता पोस्ट मार्टम के बाद ही पता चलेगा।