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करीब 8 महीने पहले बीते 8 जनवरी को कश्मीर के गुलमर्ग में पाक सीमा पर चौकसी के दौरान लापता हुए गढ़वाल राइफल के जवान हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी  का शव बरामद हो गया है। उत्तरी कश्मीर के बारामुला में स्थित गुलमर्ग इलाके से उनका शव मिला है। बतादें कि हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी 8 जनवरी 2020 को कश्मीर के गुलमर्ग में नियंत्रण रेखा के समीप ड्यूटी देते समय हिमस्खलन की चपेट में आने पर वह लापता हो गए थे। शुरुआत में यह भी कहा गया कि वह पाकिस्तान की सीमा की तरफ गिर गए हैं। बचाव दल द्वारा कई दिनों तक तलाशी अभियान चलाने के बावजूद उनका कुछ पता नहीं चल पाया था। इसके बाद सेना ने मई 2020 में उन्हें ‘बैटल कैजुएल्टी’ घोषित कर दिया। मूलरूप से गैरसैंण के रहने वाले हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी का परिवार देहरादून के अंबीवाला में रहता है।

15 अगस्त को राजेंद्र सिंह नेगी की यूनिट ने उनकी पत्नी को फोनकर शव मिलने की जानकारी दी। उनका पार्थिव शरीर सेना के विशेष विमान से रविवार सुबह चंडीगढ़ से दिल्ली भेजा जाएगा। वहां से शाम तक देहरादून पहुंचेगा। गढ़वाल राइफल्स पूर्व सैनिक एसोसिएशन के अध्यक्ष कर्नल (रिटा.) डीपीएस कठैत के मुताबिक, रविवार को कर्णप्रयाग से उनके माता-पिता भी देहरादून पहुंच जाएंगे। 17 अगस्त को हरिद्वार में पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

दरअसल, गुलमर्ग इलाके में एक जवान का शव मिला। कुछ स्थानीय लोगों ने एक शव मिलने की सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंच जब शव को बर्फ से बाहर निकाला गया तो पता चला कि यह वही जवान है जो इसी साल 8 जनवरी को नियंत्रण रेखा पर गश्त लगाते समय हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गया था।

सेना द्वारा शहीद घोषित करने के बाद भी हवलदार राजेंद्र सिंह की पत्नी राजेश्वरी यह मानने को तैयार नहीं थी। परिजनों का कहना था कि वह नियंत्रण रेखा पर तैनात थे, हो सकता है कि हिमस्खलन की चपेट में आकर वह सीमा पार पाकिस्तान में चले गए हों। राजेश्वरी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री के अलावा थल सेना प्रमुख को पत्र लिख पाकिस्तान से संपर्क करने की मांग भी की थी। हालांकि आठ महीने बाद हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी का शव बरामद होने पर सभी अटकलें समाप्त हो गईं। साभार : हिल-मेल

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