कल्जीखाल: विकास खंड कल्जीखाल के मुंडनेश्वर स्थित  पौराणिक खैरालिंग महादेव मंदिर में सावन के अंतिम सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिवलिंग में जलाभिषेक किया। गौरतलब है कि इस बार मंदिर समिति द्वारा स्थानीय दानी दाताओं के सहयोग से सावन के अंतिम सोमवार (12 अगस्त) को मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भंडारे के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम (भजन-कीर्तन) आयोजित किया गया था। जिसमे नयार घाटी म्युजिकल ग्रुप के स्थानीय कलाकार मनीष पंवार, सुरजीत पंवार, प्रीति कोहली टीम के साथ स्थानीय महिला मंगल दलों के द्वारा भजन कीर्तन किये गए।

जिला पंचायत सदस्य गढ़कोट, संजय डबराल ने बताया कि सावन के प्रथम सोमवार को मेला समिति के द्वारा भंडारा करवाया गया, वहीं द्वितीय सोमवार को राकेश भंडारी ग्राम हाचुई के परिवार द्वारा भंडारा किया गया। जबकि तृतीय सोमवार को मेला समिति के पूर्व अध्यक्ष बलवंत सिंह नेगी के छोटे भाई के देहावसान होने के कारण भंडारे का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। और चतुर्थ सोमवार को कुलदीप नेगी थैर व योगम्बर नेगी “डब्बू भाई” और प्रीति नेगी के परिवार के द्वारा भंडारा किया गया। और हर सोमवार को स्थानीय महिला मंगल दलों के द्वारा भजन कीर्तन किये गए। जबकि अंतिम सोमवार को नयार घाटी म्युजिकल् ग्रुप के स्थानीय कलाकारों द्वारा भजन कीर्तन कार्यक्रम किये गए।

इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अनिल नेगी, महासचिव विवेक नेगी, जिला पंचायत सदस्य संजय डबराल, पूर्व अध्यक्ष बलवंत नेगी, कोषाध्यक्ष नरेश उनियाल, उपाध्यक्ष दिनेश असवाल, जसपाल नेगी, कुलदीप नेगी, योगम्बर नेगी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

खैरालिंग (मुंडनेश्वर) महादेव मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग

पौड़ी जनपद के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत मुण्डनेश्वर स्थित पौराणिक खैरालिंग महादेव मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है. इस संबंध में स्थानीय युवाओं द्वारा कई बार प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को ज्ञापन सौंपा जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि मंडल मुख्यालय पौड़ी से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर असवालस्यूँ पट्टी के अन्तर्गत मुंडनेश्वर में खैरालिंग महादेव का प्राचीन एवं पौराणिक मंदिर है। गढ़वाल के सबसे प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिरों में से एक खैरालिंग मंदिर की कल्जीखाल विकासखंड सहित पूरे गढ़वाल में बड़ी मान्यता है। कहा जाता है कि मुंडनेश्वर महादेव में लगने वाले पौराणिक एवं ऐतिहासिक खैरालिंग मेला की शुरुआत वर्ष 1551 से हुयी थी। तब से यहाँ प्रतिवर्ष जून माह के प्रथम सप्ताह में दो दिवसीय मेले का आयोजन होता आया है। एक समय खैरालिंग मेला पशुबलि के लिए प्रसिद्ध था परन्तु समय के साथ समाज में भी बदलाव आया और वर्ष 2010 के बाद उत्तराखंड के अन्य मेलों की तरह इस मेले में भी बलि प्रथा बंद कर दी गई।

हालाँकि प्रचार-प्रसार एवं अन्य सुविधाओं के अभाव में आज भी यह मंदिर प्रदेश, देश-विदेश के शिव भक्तों एवं श्रद्धालुओं की पहुंच से काफी दूर है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि पर्यटन विभाग इस मंदिर को अपने हाथों में लेता है तो यह मंदिर पर्यटन के नक्शे में भी दिखेगा। देश विदेश के शिव भक्त अपनी श्रद्धा लेकर इस मंदिर में पहुंचेंगे। जिससे कि क्षेत्र का विकास होगा यहां के लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।