धनतेरस

धनतेरस व छोटी दिवाली : हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को धनवंतरी जयंती का त्योहार यानी धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, और कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है जिसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। दीपावली के दो दिन पहले पड़ने वाला धनतेरस का पर्व इस वर्ष दीपावली से एक दिन पहले यानी छोटी दिवाली के दिन ही मनाया जाएगा। इस वर्ष त्रयोदशी एवं चतुर्दशी तिथि दोनों 13 नवम्बर को प्रदोष (सायं) व्यापिनी होंने से धनतेरस व नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली) एक ही दिन 13 नवम्बर (शुक्रवार) को मनाए जाएंगे। त्रयोदशी के उदया तिथि और प्रदोष काल में होने की वजह से 499 साल बाद ऐसा योग बन रहा है। इससे पहले ऐसा योग सन 1521 में बना था। इस बार 13 नवंबर को धनतेरस के साथ ही शाम को नरक चतुर्दशी की भी पूजा होगी। 14 को स्वाति नक्षत्र में दीपावली का पूजन होगा।

राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आईडीपीएल के संस्कृत प्रवक्ता आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया के 13 तारीख को सुबह 8:00 बजे के बाद खरीदारी की जा सकती है जिसका मुहूर्त दिन भर है। परिवार की खुशहाली के लिए शाम को प्रदोष काल में 5:15 से 7:50 तक वृष लग्न में आटे का दीपक बनाकर चौमुखी बत्ती और तिल का तेल डालकर जलाएं। उसे घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की तरफ ॐ यमाय नमः धर्मराज आए नमः मंत्र बोलते हुए रखने से वर्ष पर्यंत अल्प मृत्यु आदि भय नहीं होते हैं और लक्ष्मी की वृद्धि होती है।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य चंडी प्रसाद आगे बताते हैं कि 14 तारीख को नरक चतुर्दशी रहेगी उसमें सूर्य उदय से पूर्व 5:20 से 6:45 के मध्य जब सूर्य और चंद्रमा दोनों तुला राशि पर रहे अभ्यंग स्नान करना चाहिए। जल में तिल का तेल अवश्य डालें फिर सूर्य को अर्घ्य देकर लाल गुड़हल के फूलों से घर में गणेश, लक्ष्मी, कुबेर का आवाहन करना चाहिए।

क्योंकि धर्म शास्त्रों में कहा है -“तैले लक्ष्मीर्जले गंगा दीपावल्यां विधूदये।” अर्थात् दीपावली के दिन चन्द्रोदय के समय जल में गंगा जी और तिल के तेल में लक्ष्मी जी का वास होने से सूर्योदय से पूर्व स्नान बहुत पुण्य दायक है।

13 नवंबर को कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी धनतेरस
13 नवंबर को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मासिक शिवरात्रि व्रत
14 नवंबर को नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी स्नान पूजन
14 नवंबर को दिवाली, लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
श्री महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त- प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त- सायं 05:15 से 07:56 तक
वृषभकाल पूजा मुहूर्त-सायं-05:28 से 07:23 तक
शुभ चौघड़िया मुहूर्त-रात्रि 08:36से 10:16 तक
अमृत चौघड़िया मुहूर्त-रात्रि 10:17 से 11:58 तक
महानिशाकालपूजा मुहूर्त-रात्रि 11:32 से 12:26 तक
सिंह काल पूजा मुहूर्त-रात्रि 11:58 से 02:17(रात्रि शेष) तक रहेगा।

इन मुहूर्तो में विधिवत पूजन करने से वर्ष पर्यंत महालक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। उनके अनुसार गोवर्धन पूजा व अन्नकूट-दिनांक 15 नवम्बर 2020 को प्रातः 10:37 के बाद दिन भर मनाया जाएगा और तब 16 नवंबर को भैया दूज, यम द्वितीया का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन भी दिनभर मुहूर्त अच्छा है भाई को चाहिए कि बहन के घर जाकर भोजन करें और यथा सामर्थ्य उपहार भेंट करें। इससे भाई के परिवार की वृद्धि होती है और तमाम कठिनाइयों शत्रु बाधा रोग बाधा से मुक्ति मिलती है।