Distributed woolen clothes to poor students in gic muchhayali

श्रीनगर : बाल प्रतिभा सम्मान समारोह परिषद के निदेशक अखिलेश चन्द्र चमोला तथा हिन्दी अध्यापिका अनुपमा बलूनी की पहल पर राजकीय इंटर कॉलेज मुछ्याली में भव्य आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध समाज सेवी चन्द्र बीर गायत्री द्वारा विद्यालय के छात्र छात्राऑ को कंपकंपाती ठण्ड से बचने के लिए ट्रैकशूट वितरित किये गये। छात्रों को ऊनी वस्त्र वितरण करने से पूर्व विद्यालयय में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियां भी प्रस्तुत की गई। चन्द्रवीर गायत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन देहरादून के अध्यक्ष होने के साथ-साथ बाल प्रतिभा सम्मान समारोह परिषद श्रीनगर गढवाल के भी अध्यक्ष हैं. जिसके तत्वावधान में समय समय पर समाज सेवा वाले कार्यक्रमों में बडचडकर भागीदारी करते हैं।

इस अवसर पर बाल प्रतिभा सम्मान समारोह परिषद के निदेशक अखिलेश चन्द्र चमोला ने बच्चों को मेंडल तथा विद्यालय परिवार को अपनी पुस्तक भारतीय सॅस्कृति तथा नैतिक शिक्षा के आयाम नामक लोकप्रिय पुस्तकें भी भेंट की। निदेशक चमोला ने छात्र छात्रा ओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि छात्र ही भविष्य के कर्णधार हैं।हर बच्चे में अद्भुत प्रतिभा छिपी रहती है। भावी पीढ़ी का सम्मान करना सम्पूर्ण राष्ट्र का सम्मान करना है। छात्रों को अपनी मन्ज़िल प्राप्त करने के लिए निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहते हुए नशीली चीजों से दूर रहना चाहिए।

विद्यालयय के प्रधानाचार्य रविन्द्र कन्डारी ने चन्द्र वीर गायत्री तथा अखिलेश चन्द्र चमोला का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के कार्य कर्मों से बच्चों को प्रेरणा मिलती है। समाज सेवी चन्द्र वीर गायत्री ने कहा कि हमारी सोच है कि किसी भी छात्र की प्रगति में उसकी निर्धनता रूकावट न बने। बच्चों की सेवा करने से मन को शान्ति मिलती है। ऊनी वस्त्र मिलने पर छात्र उत्साहित दिखाई दे रहे थे।

इस मौके पर बतौर नशा उन्मूलन प्रभारी अखिलेश चन्द्र चमोला ने पूरे विद्यालयय परिवार को कभी नशा न करने की प्रतिज्ञा भी दिलाकर हमारा संकल्प नशा मुक्त खुशहाल उत्तराखण्ड बनाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी अध्यापिका अनुपमा बलूनी ने किया। इस अवसर पर प्रकाश रावत, रेखा बिष्ट, इला रावत, मनमोहन बिष्ट, कुलदीप काला, बिपिन रावत, श्रीमती गरिमा आदि शिक्षकों ने भी अपने विचार रखें। विद्यालयय परिवार द्वारा अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ, बैज अलंकरण तथा शाल ओढ़ाकर किया गया।