देहरादून : गढ़वाली भाषा-साहित्य के प्रचार-प्रसार एवं उत्थान हेतु आखर समिति (श्रीनगर गढ़वाल) द्वारा 19 दिसम्बर को गढ़वाली भाषा एवं लोकसाहित्य के दिवंगत मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. गोविन्द चातक की जयन्ती के अवसर पर डॉ. गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान एवं डॉ. गोविन्द चातक स्मृति व्याख्यान माला कार्यक्रम देहरादून के हिन्दी भवन में आयोजित किया गया।
आखर समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में “गढ़वाली भाषा-साहित्य में अमूल्य योगदान हेतु इस वर्ष डॉ. गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान-2019 वरिष्ठ गढ़वाली साहित्यकार मोहनलाल नेगी और वरिष्ठ साहित्यकार बचन सिंह नेगी को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। ” इन दोनों वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मान स्वरूप नकद धनराशि के साथ-साथ आखर सम्मान पत्र, आखर स्मृति चिह्न एवं अँग वस्त्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले वरिष्ठ साहित्यकार मोहनलाल नेगी की संस्मरणात्मक पुस्तक “यादों की गलियां” का लोकार्पण भी मंचासीन अतिथियों, अध्यक्ष द्वारा किया गया,
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे अखिल गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना ने आखर समिति की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि आखर समिति का इस प्रकार का आयोजन सराहनीय है।
कार्यक्रम अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नन्द किशोर ढौंडियाल ने कहा कि आखर समिति का यह कार्य महत्वपूर्ण है एवं आज गढ़वाली भाषा-साहित्य पर वैचारिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों के साथ इस हेतु धरातल पर काम करने की आवश्यकता है।
अतिथि वक्ता प्रो. सुरेश ममगांई जी ने कहा कि -गढ़वाली भाषा-साहित्य में नए तरीके से काम करने की आवश्यकता है, शोध करने की आवश्यकता है। प्रसिद्ध साहित्यकार नरेन्द्र कठैत ने कहा कि डॉ. चातक जैसे साहित्य साधकों के काम को आगे लाने की आवश्यकता है। युगवाणी के सम्पादक संजय कोठियाल ने मोहन लाल नेगी की लोकार्पित पुस्तक “यादों की गलियां ” पुस्तक एवं लेखक के बारे में अपने संस्मरण रखे।
गढ़वाली भाषा-साहित्य हेतु समर्पित आखर समिति (श्रीनगर गढ़वाल ) के अध्यक्ष संदीप रावत ने कहा कि डॉ. गोविन्द चातक जैसी विभूतियों को एवं उनके कार्य को याद किया जाना आवश्यक है, उनकी जयन्ती मनाई जानी आवश्यक है। आखर समिति बहुत गम्भीरता से इस दिशा में काम करने का प्रयास कर रही है।
कार्यक्रम में डॉ. विनोद सिंह नेगी, श्रीमती निर्मला विष्ट, डीपी खण्डूड़ी, बलबीर सिंह राणा अडिग, शूरवीर सिंह रावत, रमाकान्त बेंजवाल, हेम चन्द्र सकलानी, अनूप रावत, अंजना घिल्डियाल, अजय गुसांई, जय प्रकाश पवांर, धाद के शान्ति प्रकाश जिज्ञासु, मधुर वाद्नी तिवाड़ी, अनिल सिंह नेगी, कान्ता घिल्डियाल, रेनु बडोनी, सुरेन्द्र भट्ट, डॉ. सत्यानन्द बडोनी, सुरेश स्नेही, जयप्रकाश पंवार, डॉ. योगेन्द्र बर्त्वाल, हरीश कण्डवाल मनखी, संदीप कठैत आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन बीना बेंजवाल ने किया।