108 ambulance service

कल्जीखाल : राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा 108 एंबुलेंस में कार्यरत कर्मचारी मरीजों को अस्पताल छोड़ने के अलावा आपातकालीन परिस्थितयों में एंबुलेंस में ही कई महिलाओं के सफल प्रसव भी करवाने का नेक काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक स्वास्थ्य कर्मचारी (इमरजेंसी मेडिकल टैक्नीशियन) ऋतिक हैं जोकि पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के अंतर्गत 108 एंबुलेंस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऋतिक ने कल देर रात भी एक विकासखंड के एक गाँव की प्रसूता की आपात स्थिति में 108 एंबुलेंस में ही सफल डिलीवरी करवाई।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक कल देर रात पौड़ी जनपद के कल्जीखाल विकासखण्ड के ग्राम डांगू में रहने वाली एक महिला को अचानक प्रसव पीढ़ा हुई। महिला की हालत देखकर उनके पति ने रात करीब 11 बजे 108 सेवा को कॉल किया। परन्तु कल्जीखाल विकासखण्ड की एंबुलेंस में तकनीकी खराफी होने के कारण 108 के संचालित केन्द्र ने पाटीसैण स्थित 108 सेवा को तत्काल इस केस को हैंडिल करने को कहा।

बरसात के मौसम में पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों में एंबुलेंस लगभग 50 किलोमीटर दूर से देर रात 1 बजे बांजखाल पहुंची। जहां एक किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पर प्रसूता को परिजन 1 बजे डंडी-कंडी से किसी तरह सड़क तक लेकर आये। इस दौरान प्रसूता को अधिक प्रसव पीड़ा सहनी पढ़ी। जिसके बाद 108 एंबुलेंस द्वारा प्रसूता को जिला अस्पताल पौड़ी लेकर जाने लगे। परन्तु इसीबीच जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही प्रसूता का दर्द और बढ़ गया। इस एम्बुलेंस चालक शाहिल ने गाड़ी को सड़क के किनारे खड़ा किया। जिसके बाद एंबुलेंस में तैनात ईएमटी ऋतिक ने रात 1 बजकर 40 मिनट पर एंबुलेंस में ही महिला का सफल प्रसव करवाया। इस दौरान महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। जिसमें जच्चा बच्चा दोनो ही सकुशल हैं। जिसके बाद उन्हें रात 2 बजे जिला महिला अस्पताल भर्ती करवाया गया।

एक बार फिर ईएमटी ऋतिक की सूझबूझ से सफल डिलीवरी हुई। इस कार्य में एंबुलेंस चालक शाहिल ने भी सहयोग किया। इन दोनों युवाओं के 108 में समर्पित सेवा की हर तरफ सरहाना हो रही है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि नजदीकी अस्पताल घण्डियाल जोकि करोड़ों की लागत से सरकार द्वारा पीपीपी मोड पर हिमालयन अस्पताल को दिया गया है। परन्तु फिर भी इस अस्पताल में प्रसूताओं की डिलीवरी करवाने की व्यवस्थायें नही हैं। तो फिर इस अस्पताल को पीपीपी मोड पर देने का क्या फायदा है?

देवभूमि संवाद के लिए जगमोहन डांगी की रिपोर्ट