श्रीनगर गढ़वाल : श्रीनगर गढ़वाल निवासी उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. शिव प्रसाद नैथानी का आज उनके अपर भक्तियाना स्थित निवास में आकस्मिक निधन हो गया। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग से सेवानिवृत्त प्रसिद्ध इतिहासकार व लेखक डॉ. शिव प्रसाद नैथानी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। 88 वर्षीय डॉ. नैथानी के आकस्मिक निधन पर श्रीनार नगर के विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। कुछ दिन पहले उनके पुत्र मोहन नैथानी का भी कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया था।
मूलरूप से पौड़ी गढ़वाल के बिलखेत गाँव के रहने वाले डॉ. शिव प्रसाद नैथानी ने उत्तराखण्ड इतिहास पर केंद्रित अनेक शोधपरक पुस्तकें लिखी हैं। उनके द्वारा उत्तराखण्ड के तीर्थ एवं मंदिर, श्रीनगर गढ़वाल के संस्कृत अभिलेख, गढ़वाल के प्रमुख तीर्थ, उत्तराखण्ड संस्कृति साहित्य व पर्यटन, आदि अन्य पुस्तकों लिखी गयी है। उनका जाना उत्तराखंड के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।
आखर समिति के अध्यक्ष गढ़वाली कवि व शिक्षक संदीप रावत ने डॉ. शिव प्रसाद नैथानी के देहावसान पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. नैथानी जी ने उत्तराखंड के सांस्कृतिक इतिहास सम्बंधी लगभग 12 शोधपरक पुस्तकें लिखकर लेखन के द्वारा उत्तराखंड में अपना अतुलनीय योगदान दिया है। साथ ही उनके विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अनगिनत शोधपरक आलेख प्रकाशित हुए। काफी समय तक उन्होंने ‘श्रीनगर बैकुंठ चतुर्दशी मेला स्मारिका’ के प्रधान सम्पादकत्व के दायित्व का भी बखूबी निर्वहन किया। संदीप रावत ने बताया कि दिसंबर 2016 में जब “आखर” समिति का गठन किया गया तो तभी डॉ. नैथानी को संरक्षक मण्डल में शामिल किया गया था. तथा वर्ष 2018 में आखर समिति ने उन्हीं की अध्यक्षता में गढ़वाली लोक साहित्य के मूर्धन्य विद्वान डॉ. गोविंद चातक की जयंती पर प्रथम “डॉ. गोविंद चातक आखर साहित्य सम्मान” आयोजित किया था। उत्तराखण्ड के इतिहास एवं यहाँ की प्राचीन संस्कृति को लेकर डॉ. शिव प्रसाद नैथानी द्वारा किया गया कार्य उनको सदैव चिरस्मरणीय बनाए रखेगा।
डॉ. शिव प्रसाद नैथानी के आकस्मिक निधन पर आखर समिति के अध्यक्ष गढ़वाली कवि व शिक्षक संदीप रावत, हिमालय साहित्य एंव कला परिषद के अध्यक्ष डॉ. नीरज नैथानी सहित श्रीनगर क्षेत्र के साहित्य एवं समाज से जुड़े लोगों के अलावा राजनीतिक तथा सामाजिक संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।