भांग

देहरादून: भारतीय औद्योगिक भांग असोसिएशन (आईआईएचए) और उत्तराखण्ड सरकार ने औद्योगिक भांग की खेती को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया, जिसे दुनिया भर में ट्रिलियन डॉलर की फसल माना जाता है। उत्तराखण्ड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 1958 से 33 साल बाद भारत में औद्योगिक भांग की खेती का पहला लाइसेंस भारतीय औद्योगिक भांग असोसिएशन को दिया। आईआईएचए के संरक्षण में भांग के पौधे उगाने का उत्तराखण्ड सरकार का यह प्रोजेक्ट भारत में औद्योगिक भांग उगाने का सबसे पहला लाइसेंसी पायलट प्रोजेक्ट है।

भांग की खेती का पायलट प्रोजेक्ट एक बार शुरू होने के बाद किसानों की आय बढ़ाने के नए अवसरों का सृजन होगा। गौरतलब है कि भांग उगाने के लिए बंजर जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि काफी सख्त फसल होती है और जिसे उगाने के लिए बहुत कम संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होती है। यह पायलट प्रोजेक्ट उत्तराखण्ड के एक जिले पौड़ी गढ़वाल में शुरू किया जाएगा।

इस पायलट प्रोजेट की लॉन्चिंग पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रोजेक्ट में आईआईएचए की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट से स्थानीय समुदाय को होने वाले संभावित लाभ, जैसे रोजगार के अवसरों का सृजन, आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी और राज्य के गांवों में किसानों को आय बढ़ने के बारे में बताया। इस परियोजना से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भी अवसर उत्पन्न होंगे, जो भांग परियोजना में निवेश के संबंध में काफी लंबे समय से सोच रहे हैं और इसके लिए उन्होंने उत्तराखण्ड सरकार से कई बार संपर्क किया है।भांग

आईआईएचए के अध्यक्ष श्री रोहित शर्मा ने कहा, उत्तराखण्ड में औद्योगिक भांग की खेती को कानूनी रूप से वैध बनाकर उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य में उभरती हुई भांग की इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा आईआईएचए की ओर से औद्योगिक भांग की खेती को वैध बनाने पर दूसरे राज्यों की नजर है और वह इसे काफी उत्सुकता से देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भांग हमारा पारंपरिक और धार्मिक पौधा है। आज से पूरा सम्मान मिल रहा है और भांग की खेती पर सकारात्मक रूप से चर्चा हो रही है। भांग की खेती से फायदा लेने के साथ हमें इसकी खेती से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के बारे में सोचना चाहिए।

आईआईएच के डायरेक्टर फाइबर श्री चंद्रप्रकाश शाह जाने-माने फाइबर एक्सपर्ट हैं और 3 दशकों से कारोबार में अपने नाम का झंडा बुलंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में भांग की खेती फाइबर इंडस्ट्री के लिए एक सुनहरा तोहफा है। इसके अलावा भांग का रेशा मानवता की भलाई के लिए सबसे मजबूत और पुराने रेशों में से एक माना जता है। भांग के रेशे में जीवाणु और यूवी प्रतिरोधी विशेषताएं होती है। यही कारण है कि चीन में सेना के जवानों के इनरवियर भी भांग से बनते हैं। हमारी फाइबर इंडस्ट्री को मौजूदा दौर में 1,50,000 मीट्रिक टन भांग की जरूरत है।

आईआईएचए के प्रयासों की सराहना करते हुए उत्तराखण्ड सरकार ने भांग की खेती को बढ़ावा देने और नई परियोजनाओं की लॉन्चिंग के लिए आईआईएचए से साझेदारी की घोषणा की। हाल ही में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के. एस. पंवार ने कम टीएचसी की भांग उगाने के लिए उत्तराखण्ड सरकार और आईआईएचए के बाच साझेदारी में एक पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की।