नई दिल्ली: भारतीय थल सेना के पूर्व जनरल बिपिन चन्द्र जोशी को उनकी 85वीं जयंती पर आज “मेरु रैबार न्यूज़” के नोएडा कार्यालय में याद किया गया। उत्तराखण्ड समाज के आंदोलनकारियों, साहित्यकारों, समाजसेवियों ने शनिवार को जनरल जोशी को अपनी श्रद्धांजलि अपिर्त की। इस मौके पर उत्तराखण्ड जागरण के संपादक सतेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जनरल जोशी ने सरकारी सेवा में रहते हुए नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश में उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों पर सरकारी जुल्म के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि उत्तराखण्ड के लोग शांति प्रिय लोग हैं, वहां के हर घर से कोई न कोई सेना हैं, और उत्तराखण्ड भूतपूर्व सैनिक बहुल छेत्र है। अगर ये लोग बागी हो गये तो सरकार को इन लोगों को संभालना मुश्किल हो जायेगा। उसके कुछ समय बाद जनरल जोशी का विषम परस्थितियों में अचानक निधन होगया था। जिसे आप भी लोबशंका की दृष्टि से देखते हैं कि किसी शाजिश के तहत जनरल जोशी के साथ कुछ अनिष्ट हुआ हो।
भारतीय सेना के 17वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ रहे जनरल बिपिन चंद्र जोशी का जन्म 5 दिसंबर 1935 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में हुआ था। 19 नवंबर 1994 को जनरल बिपिन चंद्र जोशी इस दुनिया को छोड़कर चले गए। उनकी 85वीं जयंती पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ आंदोलनकारी श्रीमती उषा नेगी, अनिल पंत, साहित्यकार जयपाल सिंह रावत, दिनेश ध्यानी, हरीश असवाल, भाजपा के युवा नेता उदयराम ममगाईं राठी, पत्रकार रमेश चन्द्र, अशोक कलूड़ा, रामचंद्र सिंह, रूचि सहित कई लोगों ने सम्मिलित हुए।
इस मौके पर उपस्थित लोगों ने कहा कि आज हम सभी को उत्तराखण्ड के विकास के लिए जनरल जोशी के आदर्शों पर चलना होगा। पहाड़ से पलायन और लोगों का अपने सरोकारों के प्रति सजग न होना उचित नहीं है। जनरल जोशी ने सक्षम उत्तराखण्ड का सपना देखा था लेकिन आज हालत काफी निराशाजनक है। अंत में दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि के साथ सभी ने जनरल जोशी को नमन किया।