राजकीय सम्मान के साथ हुआ स्वतंत्रता सेनानी मुरली सिंह रावत का अंतिम संस्कार

कोटद्वार: वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व आजाद हिंद फौज के लेफ्टिनेंट रहे मुरली सिंह रावत का बृहस्पतिवार को हरिद्वार के चंडीघाट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान पौड़ी पुलिस प्रशासन की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। स्वतंत्रता सेनानी मुरली सिंह रावत ने 104 वर्ष की लंबी उम्र में अपने निवास स्थान मवाकोट कोटद्वार में अंतिम सांस ली। उनके निधन का समाचार फैलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी।

मुरली सिंह रावत का भारत की स्वतंत्रता में बहुत बड़ा योगदान है, मुरली सिंह रावत की प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई। वे 1937 में मात्र 18 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुये थे। उन्होंने फौज में भर्ती होने के लिये आर्मी ट्रेनिंग स्कूल लैंसडाउन में गढ़वाल रॉयल में एडमिशन ले लिया था। भर्ती के 3 वर्ष बाद ही वे लांस नायक पद पर प्रमोट हुए। जुलाई 1943 में सिंगापुर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आजाद हिन्द फौज के गठन के बाद मुरली सिंह रावत भी आजाद हिन्द सेना के सैनिक बन गए। जहां पर उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल की परीक्षा पास की और उन्हें लैफ्टिनेट के पद पर प्रोन्नत किया गया।

उन्होंने कर्नल जीएस ढिल्लन के नेतृत्व में चौथी गुरिल्ला रेजिमेन्ट जो बाद में जवाहर रेजिमेन्ट के नाम से जानी गई,ज्वाइन की। पीएसी सीतापुर, उत्तरकाशी और मुरादाबाद में तैनाती के बाद 1961 में मुरली सिंह रावत को फिर प्लाटून कमांडर के पद पर उत्तरकाशी भेजा गया। जहां 1962 में चीनी सेना की एक टुकड़ी जो नीलांग घाटी में घुस गई थी, मुरली सिंह के नेतृत्व में चीनी सैनिकों को पीछे खदेड़ा गया था। 1974 में जोशीमठ से पीएसी से मुरली सिंह रावत सेवानिवृत्त हुये।

गुरुवार सुबह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग, जनप्रतिनिधि उमड़ पड़े। एसडीएम प्रमोद कुमार, एएसपी शेखर चंद्र सुयाल, सीओ विभव सैनी, तहसीलदार मनजीत सिंह गिल, कोतवाल मणिभूषण श्रीवास्तव समेत अधिकारियों ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित करते हुए उन्हें सलामी दी। प्रशासन की ओर से उनके पार्थिव शरीर पर तिरंगा लिपटाया गया। तिरंगे को हरिद्वार मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार से पहले उनके परिजनों को दे दिया गया। सेनानी के पुत्र बहादुर सिंह रावत व पौत्र बृजमोहन व चंद्रमोहन सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी।

कोटद्वार स्थित आवास में यमकेश्वर की विधायक रेणु बिष्ट, पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी, पार्षद दीपक लखेड़ा व गीता नेगी, विस अध्यक्ष के प्रतिनिधि के रुप मे उनके पीआरओ मनीराम शर्मा, राजगौरव नौटियाल के अलावा वरिष्ठ नागरिक संगठन, पूर्व सैनिक व सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने उन्हें पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

स्वर्गीय मुरली सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए उत्तराखंड स्वतंत्रता सेनानी एवं अधिकारी संगठन पौड़ी के जिला अध्यक्ष पूर्व शिक्षक यशपाल सिंह रावत ने कहा कि मुरली सिंह गांधीवादी विचारक थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता ज्ञातव्य है कि यशपाल सिंह रावत के पिता स्वर्गीय थान सिंह रावत भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गांधीवादी विचारक तथा समाज सेवक थे।