पौड़ी गढ़वाल: जनपद के पौड़ी ब्लाक के समस्त प्राइमरी विद्यालयों के लिए आज यानी सोमवार 22 जुलाई का दिन ऐतिहासिक बन गया है। आज से पौड़ी ब्लॉक के 79 प्राइमरी विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम का शिक्षण कार्य शुरू हो गया है. इसमें सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालय शामिल हैं। पौड़ी के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की पहल पर प्रदेश में गढ़वाली पाठ्यक्रम शुरू करने वाला पौड़ी पहला विकास खंड एवं पहला जिला बन गया है। इससे पहले शनिवार को बीआरसी पौड़ी में गढ़वाली पाठ्यक्रम शिक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे समस्त सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों से पहुंचे प्रधानाचार्यां/शिक्षकों को पाठ्य पुस्तक वितरण कर सोमवार से विद्यालय में पढ़ाने को मुहुर्त रूप दिया।
मुख्य अतिथि डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने कार्यक्रम का विधिवत दीप प्रज्जवलित कर वंदना के साथ शुभारंभ किया। प्रथम चरण में पौड़ी ब्लाक के प्राइमरी पाठशाला के सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों के लगभग 05 हजार बच्चे गढ़वाली भाषा ज्ञान सीखेंगे। अपनी मूल, लोक संस्कृति, विरासत, लोक विज्ञान आदि को जीवंत रखने की कवायद को जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने मुहूर्त रूप के तहत विद्यालयों में पुस्तक वितरण कर गढ़वाली भाषा एवं भाषा प्रेमियों को ऐतिहासिक सौगात दी। वहीं अब अपनी पहचान खो रहे लोगों को देश-दुनिया में गढ़वाली भाषा से भी पहचान मिल सकेगी। कक्षा 01 से 05 तक गढ़वाली पाठ्यक्रम पर आधारित क्रमशः धगुली, हसुलि, छुबकि, पैजबि एवं झुमकि के सहारे भावी पीढ़ी अपनी विरासतन पहचान को कायम रखेगें।
जिलाधिकारी ने आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में बुद्धिजीवी वर्ग की कोई कमी नही है। हो रहे पलायन के साथ-साथ अपने मातृभूमि की संस्कृति को बचाने की सोच होनी चाहिए। उन्होंने अध्यापकों से कहा कि आप सभी का दायित्व है कि अपनी लोक संस्कृति विरासत को कायम रखने के लिए आगे आने की जरूरत है। जिलाधिकारी ने कहा कि पौड़ी को देश-दुनिया के सामने एक अलग पहचान दिलाने के लिए नये-नये इवेंट्स शुरू किये जा रहें। जबकि बेटी बचाओं, बेट पढाओं के तहत 04 अगस्त, 2019 को मानसून मैराथन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें विदेशों से भी प्रतिभागी पहुंच रहे हैं। साथ ही अक्टूबर माह में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जायेगा, जिसमें बच्चों से आधारित ज्ञानवर्द्धक बातें सिखाई जायेंगी।
गढ़वाली भाषा के संरक्षण के प्रति समर्पित गणेश खुगशाल ‘गणी‘ ने कहा कि करीब 32 वर्षों से वे गढ़वाली भाषा के संरक्षण को लेकर विभिन्न मंचों एवं गोष्ठियां, लेख, साहित्य आदि के माध्यम से गढ़वाली भाषा को लेकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी ने गढ़वाली भाषा को जीवंत रखने हेतु गढ़वाल पाठ्यक्रम लागू कर मुहूर्त रूप देकर एक ऐतिहासिक कार्य किया है। उन्होंने गढ़वाली पाठ्यक्रम को पढ़ाने हेतु आमंत्रित प्रधानाचार्य/अध्यापकों एवं अन्य पदाधिकारियों से संवाद कर उनकी शांकाओं को दूर किया। उन्होंने गढ़वाली भाषा को लेकर कहा कि विगत वर्षों से देखने को मिल रहा है कि हम घर से निकलते ही अपनी बोली-भाषा को छोड़ देते हैं, जो एक चिन्ता का विषय बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पनप रही इस परम्परा के विरूद्ध हमें अपनी भाषा को संरक्षित करने में दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करना होगा। इस अवसर पर जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी निर्मल शाह, जिला शिक्षा अधिकारी के.एस. रावत ने भी भाषा संरक्षण को लेकर विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर सेंट थामस इंटर कालेज के प्रतिनिधि अनूप जोशी ने कहा कि बच्चों को अपनी मातृभाषा से जोड़े रखने की नितांत आवश्यकता है और हमारा विद्यालय प्राथमिक कक्षाओं में गढ़वाली पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अति उत्साहित है। शहर के सबसे बड़े प्राइवेट स्कूल बी.आर. माडर्न स्कूल के प्राचार्य दामोदर ममगाईं ने कहा कि गढ़वाली पाठ्यक्रम सिर्फ भाषा का मामला नही है यह लोकसंस्कृति, लोकसमाज और उससे भी आगे लोकविज्ञान की धरोहर को समझने के लिए भी लोकभाषा का होना उसका ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है और हम अपने विद्यालय में इस पाठ्यक्रम को गंभीरता से संचालित कर रहे हैं।
देवभूमि संवाद के लिए मनीष खुगशाल