नई दिल्ली के ‘गढ़वाल भवन’ मे शनिवार को आयोजित हिमवंत कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल जन्म शताब्दी समारोह में श्रीनगर गढ़वाल के गढ़वाली लेखक, कवि एवं शिक्षक संदीप रावत को गढ़वाली लेखन में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए चन्द्र कुँवर बर्त्वाल साहित्य सेवाश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर हिमवंत संस्था द्वारा संदीप रावत सहित उत्तराखंड के हिंदी एवं गढ़वाली साहित्यकार, समाज सेवी, कवि एवं पत्रकारिता से जुड़ी 20 हस्तियों को समानित किया गया।
कार्यक्रम में गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। जबकि दिल्ली संस्कृत तथा हिन्दी अकादमी में सचिव डॉ. जीत राम भट्ट, दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा एवं डीपीएमआई के अध्यक्ष डॉ. विनोद बछेती इस साहित्यिक समारोह में विशिष्ट अतिथि रूप में मौजूद रहे।
संदीप रावत वर्तमान में कीर्तिनगर विकास खण्ड (टिहरी) के राजकीय अन्तर कॉलेज धद्दी घण्डियाल, बडियारगढ़ में रसायन विज्ञान के प्रवक्ता हैं। शिक्षक संदीप रावत रसायन विषय पढ़ाने के साथ-साथ विगत कई वर्षों से गढ़वाली भाषा के सम्बर्द्धन हेतु निरन्तर प्रयासरत हैं। वे अब तक चार गढ़वाली पुस्तकें लिख चुके हैं। इसके अलावा सैकड़ों गढ़वाली आलेख लिख चुके हैं। उनकी पुस्तकें ‘एक लपाग’– गढ़वाली कविता- गीत संग्रह, ‘गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि जात्रा,– संदर्भ/शोधपरक गढ़वाली संग्रह, ‘लोक का बाना’ गढ़वाली आलेख संग्रह एवं ‘उदरोळ’-गढ़वाली कथा संग्रह हैं। संदीप रावत गढ़वाली भाषा व संस्कृति के लिए कार्य कर रहे हैं और नई पीढ़ी व अन्य लोगों को अपनी मातृभाषा से जोड़ने का काम कर रहे हैं। बचपन से ही गढ़वाली गीत एवं लेखन से जुड़े संदीप रावत ने अपने बड़े भाई संजय रावत व शिक्षक पिता श्री महावीर सिंह रावत से काफी कुछ सीखा।
इस दौरान साहित्यकार पृथ्वी सिंह केदारखंडी के गढ़वाली काव्य संग्रह “धार मा कु गौं छ म्यारु” का लोकार्पण किया गया। साथ ही सार्वभौमिक संस्था की सार्वभौमिक संस्था की टीम द्वारा पहाड़ से पलायन पर चोट करती हुई एक लघु नाटिका “अब क्या होलु” का भी खूबसूरत मंचन किया गया।