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फाइल फोटो

देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड के बैनर तले अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 21 जुलाई से शिक्षा निदेशालय पर क्रमिक अनशन कर रहे राजकीय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों एवं शासन के बीच जबरदस्त टकराव की स्थित पैदा हो गई है। प्राप्त सूचना के अनुसार शिक्षा मंत्री के निर्देश पर सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख ने शनिवार को संगठन के शीर्ष नेताओं को सुगम क्षेत्रों से हटाकर दुर्गम क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया है। इससे पहले शिक्षा निदेशक ने संघ के पदाधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए आंदोलन खत्म करने के आदेश दिए थे। निदेशक ने चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि आंदोलन खत्म न हुआ तो शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख ने शिक्षक संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान का तबादला डाइट देहरादून से राजकीय इंटर कॉलेज फकोट टिहरी गढ़वाल कर दिया है। संगठन के महामंत्री डॉ सोहन सिंह माजिला को राज्य परियोजना कार्यालय रमसा देहरादून से राजकीय इंटर कॉलेज छोई, नैनीताल स्थानांतरित कर दिया है। तथा संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी को राजकीय इंटर कॉलेज पीपलकोटी, चमोली से राजकीय इंटर कॉलेज साबरीसैंण, चमोली स्थानांतरित किया गया है। सरकार की इस कार्रवाई इसे शिक्षकों में जबरदस्त रोष उत्पन्न हो गया है। संघ के पदाधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस बारे में शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके आवास पर मुलाकात की। और शिक्षको के साथ हो रही इस तरह की दमनात्मक कार्रवाई के बारे में उन्हें अवगत कराया। इस पर मुख्यमंत्री ने शिक्षक नेताओं से पूछा कि इस तरह अध्यापन छोड़कर आन्दोलन करना क्या उचित है इससे बच्चों की पढाई का नुकसान हो रहा है। इस पर संगठन के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को वास्तविक स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि प्रदेश के सभी विद्यालयों में अध्ययन- अध्यापन पूर्ण रूप से चल रहा है। केवल संगठन के कुछ पदाधिकारी अपनी जायज मांगों को लेकर क्रमिक अनशन पर है। इस पर मुख्यमंत्री ने संतोष जताते हुए कहा कि मै सोमवार को इस विषय में शिक्षा मंत्री से बता करूँगा और किसी के साथ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की जाएगी।

संगठन के प्रदेश महामंत्री डॉ सोहन सिंह माजिला ने कहा कि जब तक सरकार शिक्षकों की सभी मांगों पर विचार नहीं करेगी तब तक उनका आन्दोलन जारी रहेगा और 31 जुलाई से पूर्व निर्धारित आमरण अनशन भी होगा है।

संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा की सरकार का यह निर्णय अफसोसजनक और हिटलरशाही है। जिस सरकार को शिक्षक प्रतिनिधियों से वार्ता करनी चाहिए थी वह सरकार हमारे प्रतिनिधियों का स्थानांतरण कर उत्पीड़न करने का प्रयास कर रही है। जो शिक्षक लंबे समय से स्थानांतरण की मांग कर रहा है उनके स्थानांतरण तो सरकार नहीं कर पा रही है। शिक्षक किसी भी स्थिति से डरने वाला नहीं है और न ही इनके दबाब में आने वाला है। उन्होंने कहा कि इतिहास उठा कर देख लो जब-जब सत्ता और शासक निरंकुश हुआ है तब-तब धरती पर अवतार हुआ है। हम इस लड़ाई को अंजाम तक पंहुचाकर ही दम लेंगे।

वैसे विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार एवं शिक्षक संगठन को इस मामले का मिलकर समाधान निकलना चाहिए। अगर शासन एवं शिक्षक संगठनों की आपसी तनातनी  से यह आन्दोलन लम्बा चला को इसका खामियाजा सबसे अधिक विद्यार्थियों को भुगतना पड़ेगा।

इधर शिक्षकों के आंदोलन पर राजनीति भी तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश शिक्षा निदेशालय आकर शिक्षकों को समर्थन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से शिक्षकों का सम्मान करती आई है लेकिन गुरू शिष्य परंपरा का ध्वजवाहक बताने वाली भाजपा आज शिक्षकों के अपमान का कोई मौका नहीं चूक रही है।