चकबंदी एवं भूमि सुधार : राजकीय महाविदयालय भत्रोजखान अल्मोड़ा उत्तराखण्ड के तत्वाधान में शनिवार को उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में चकबंदी एवं भूमि सुधार पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। राजनीति शास्त्र विभाग द्वारा शुरू की गई ‘उत्तराखण्ड कि माटी बोले‘ नामक संवाद श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित वेबीनार को सफल बनाने में प्राचार्य एवं संरक्षिका प्रो. सीमा श्रीवास्तव एवं समन्वयक राजनीति शास्त्र विभाग डॉ. केतकी तारा कुमैया की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
वेबीनार के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता वॉयस ऑफ़ माउंटेंस चैनल के सीईओ एवं IFFCO में प्रशासनिक अधिकारी जगमोहन जिज्ञासु रहे। उल्लेखनीय है कि वॉयस ऑफ़ माउंटेंस चैनल उत्तराखण्ड केंद्रित खबरों का प्रचार प्रसार करने के साथ ही सुदूरवर्ती एवं दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं जैसे पलायन, स्वरोजगार, भूमि सुधार इत्यादि विषयो को प्रचारित करता है। जगमोहन जिज्ञासु पर्यटन पर आधारित जनशक्ति संगठन के भी सलाहकार है, साथ ही गुज्डू गढी 52 गढो मे एक गढ़ को पर्यटन स्थल बनाने में संघर्षरत है। वर्ष 2014 मे जंतर-मंतर पर चकबंदी की मांग को लेकर जो अभियान छेड़ा गया था उसे सरकारो ने माना पर अभी धरातल होना बाकी है जिज्ञासु जी तभी से उत्तराखण्ड मे बिखरी जोत की चकबंदी और उत्तराखण्ड भूमि सुधार आंदोलन में मुखर रहे।
इस मौके पर मुख्य अतिथि जगमोहन जिज्ञासु ने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों को सबसे अधिक चकबंदी एवं भूमि सुधार की ज़रूरत है। उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों कि चकबंदी अभी मैदानी एवं तराई क्षेत्रो से पीछे है। यदि ये निष्ठा से कि जाए तो यहां अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने शीघ्र ही एक पृथक चकबंदी विभाग कि मांग को एवं चकबंदी अधिकारियों की नियुक्ति पर भी ज़ोर दिया। इसके साथ उन्होंने राजस्व विभाग के पास जो संसाधनों की कमी है एवं विभागीय उदासीनता की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की बात कही एवं स्वैच्छिक चकबंदी की ओर भी ध्यान देने की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार एवं बंदोबस्ती तभी संभव हो पाएगी जब मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और जन सहभागिता होगी।
इसी के साथ इस ई-संगोष्ठी में अतिथि वक्ता हिमांशु थपलियाल, जिला संयोजक चमोली, साहित्य परिषद उत्तराखण्ड ने भी चकबंदी के सकारात्मक पक्ष पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि चकबंदी से कैसे एक स्वावलंबी एवं स्वाभिमानी उत्तराखण्ड का निर्माण कर सकते हैं और हालिया भूमि सुधार कानून मे जो संशोधन हुए है उनका पुनरीक्षण पर भी बल दिया।
वहीं अतिथि वक्ता सिद्धार्थ नेगी, निदेशक उत्तरांचल यूथ एंड रूरल डेवलपमेंट सेंटर, ने व्यक्तिगत चकबंदी के बदले सामूहिक चकबंदी संबंधी व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक जानकारी साझा की।
प्रतिभागियों में डॉ. अर्चना चौधरी, डॉ. संजय, डॉ. रत्ना, डॉ. प्रामाणिक, लक्ष्य पांडेय, वंदना टावर, दिलीप मोहंती, नायक परवेज़, सविता निटवाल, संदीप नागर, अंजलि सेमवाल, योगेंद्र कुमार, अनन्या सहित कई शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों ने देशभर से विभिन्न क्षेत्रों से शिरकत करी। वेबीनार का सफल संचालन समन्वयक एवं प्रभारी राजनीति विज्ञान विभाग डॉ. केतकी तारा कुमैया द्वारा किया गया।