ज्योतिर्मठ: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोशीमठ में हिंदी विभाग की पहल पर पूरे उत्साह और अभिमान के साथ हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो। सत्यनारायण राव ने कहा कि हिंदी भारत और भारत बोध को जानने की खिड़की है और आधुनिक भारत के वैचारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानस को गढ़ने में हिंदी का योगदान अतुलनीय है। संस्कृत के विद्वान असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। नवीन पंत ने कहा कि हिंदी में रोजगार सृजन की नई नई संभावनाएं उत्पन्न हो रहीं हैं और व्यापार, फ़िल्म और साहित्य के कारण हिंदी का प्रसार वैश्विक है। डॉ। पंत ने कहा कि हिंदी सहित किसी भी भाषा को बोलते हुए उसके प्रति गर्व का भाव होना चाहिए। हिंदी और अंग्रेजी के कवि डॉ। चरणसिंह केदारखंडी ने बीज व्याख्यान देते हुए कहा कि हिंदी केवल भाषा नहीं है बल्कि एक ऐतिहासिक भावधारा का नाम है और उसे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में विचार क्रांति के माध्यम से देश की अभूतपूर्व सेवा का अवसर मिला है। डॉ। केदारखंडी ने कहा कि भारत के हृदय को जोड़ने की विरल शक्ति केवल हिंदी भाषा के भीतर ही है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे हिंदी में सृजनात्मक लेखक करें और हिंदी के लिए गौरव बनें। कवि और हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। किशोरी लाल के कुशल मंच संचालन में सम्पन्न इस कार्यक्रम में डॉ। किशोरी लाल सहित महाविद्यालय के युवा रचनाकार विद्यार्थियों ने भी उत्साह से भाग लिया।
मनीषा बुटोला, पिया, शैलजा जोशी,अनामिका, काजल, दीपशिखा,खुशी, प्रेरणा,प्रभा, रिस्पना और दिव्या पँवार ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में रोजगार सृजन विषय पर निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया जबकि दीपशिखा, दीपशिखा,मनीषा बुटोला,अनुपमा, प्रभा, सीमांत सिंह और कशिश नेगी ने स्वरचित काव्य रचनाओं के माध्यम से हिंदी के गौरव, इतिहास और वर्तमान में उसकी लोकप्रियता पर सारगर्भित चर्चा की। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ। जी। के। सेमवाल, डॉ। नवीन कोहली, डॉ। शैलेन्द्र रावत, डॉ। राजेन्द्र सिंह राणा, डॉ। पवन कुमार, डॉ। रणजीत सिंह मर्तोलिया, डॉ। नेपाल सिंह, डॉ। राहुल तिवारी, डॉ। राहुल मिश्रा, डॉ। धीरेंद्र सिंह डुंगरियाल, डॉ। उपेंद्र सिंह राणा, डॉ। मोनिका सती, डॉ। कविता रावत, रणजीत सिंह राणा, जगदीश लाल आदि उपस्थित रहे।