Gairsain to be made the permanent capital of Uttarakhand.

नई दिल्ली: गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाने की माँग को लेकर आज दिल्ली के जंतर मंतर पर भारी जनसैलाब उमड़ा। स्थायी राजधानी गैरसैंण समिति के आह्वान पर दिल्ली–एनसीआर से पहुँचे प्रवासी उत्तराखंडियों ने एक स्वर में सरकार से गैरसैंण को तत्काल स्थायी राजधानी घोषित करने की माँग की।

कार्यक्रम का संचालन कमल ध्यानी ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में आंदोलन की सफलता के लिए एकता और सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया। वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘सजल संदेश’ संस्कृत समाचारपत्र के मुख्य संपादक देवेन एस. खत्री ने अपने संबोधन में कहा कि “गैरसैंण केवल राजधानी का प्रश्न नहीं, बल्कि उत्तराखंड की अस्मिता, अस्तित्व और भविष्य से जुड़ा हुआ सवाल है। राज्य निर्माण के मूल उद्देश्य पलायन रोकना और पहाड़ के गाँव-गाँव तक विकास पहुँचाना को तभी सार्थक किया जा सकता है जब राजधानी गैरसैंण बने।”

देवेन एस. खत्री ने ऐतिहासिक और भौगोलिक तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि गैरसैंण पूरे राज्य के प्रवेशद्वारों हल्द्वानी, रामनगर, हरिद्वार और कोटद्वार से समान दूरी पर है, इसलिए यह पूरे उत्तराखंड के लिए संतुलित राजधानी है। उन्होंने यह भी कहा कि राजधानी गैरसैंण बनने से स्थानीय संसाधनों का उपयोग, रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।

मुख्य संयोजक विनोद पी. रतूड़ी ने कहा कि “गैरसैंण की स्थायी राजधानी अब समय की माँग है। यह उत्तराखंड की अस्मिता ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा प्रश्न है।”

वहीं, संयोजक प्रवासी हेमलता रतूड़ी ने अपने वक्तव्य में महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि गैरसैंण राजधानी बनने से उत्तराखंड की महिलाओं की भागीदारी राज्य के विकास में और मजबूत होगी।

इस अवसर पर महावीर फर्सवाण और राकेश नेगी ने प्रभावशाली दो शब्द रखे और आंदोलन की दिशा को मजबूत करने की अपील की। वहीं  जगदीश प्रसाद पुरोहित ने विशेष अनुरोध किया गया कि वे आंदोलन को डिजिटल अभियान के माध्यम से और व्यापक बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएँ तथा सभी सामाजिक तथा राजनीतिक संगठनों से अनुरोध किया कि सभी अपनी मातृभूमि के लिए एक जुट हो जाएँ l

सभा को संबोधित करने वाले अन्य प्रमुख वक्ताओं में आशाराम कुमेरी, जस्पाल रावल, सुशील कंडवाल, रमेश थपलियाल, जगदीश चंद्र, भुवन चंद्र, सुबाष रतूड़ी, सुनील जडली, महावीर फर्सवाण, राकेश नेगी, विपिन रतूड़ी, जे.एस. गुसांई, रेखा भट्ट, मायाराम बहगुणा, देवेन्द्र रतूड़ी और जगदीश प्रसाद पुरोहित शामिल रहे।

सभा के अंत में उपस्थित जनसमूह ने प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि गैरसैंण को शीघ्र स्थायी राजधानी घोषित किया जाए, ताकि राज्य आंदोलनकारियों के सपनों को साकार किया जा सके।