श्रीनगर : स्वैच्छिक शिक्षक मंच के ग्रीष्मकालीन रचनात्मक शिविर लर्निंग विद उलार में सोमवार को पपेट, मास्क, क्राफ्ट निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही भाषा विशेषज्ञों ने गढ़वाली व हिन्दी पर बच्चों से चर्चा की। स्वैच्छिक शिक्षक मंच के उलार शिविर में सोमवार को योगाभ्यास के साथ दिन की शुरूआत हुई। योगाचार्य कंचन धनाई व आकाश ने बच्चों को प्राणायाम के बाद धनुरासन, चक्रासन, सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन आदि का अभ्यास करवाया।

दूसरे सत्र में अरविन्द नेगी, रजनीश कोठियाल, अरुण कुमार ढौंडियाल व दीपक नेगी ने क्राफ्ट, पपेट, मास्क आदि के निर्माण के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बच्चों को कबाड़ से आकर्षक कलाकृतियां बनाने के संबंध में उपयोगी जानकारियां दी। इसके अलावा लकड़ी के गत्ते, प्लास्टिक आदि की कलाकृतियां बनाने में प्रयोग होने वाली विशेष सामग्री जैसे रंग, गोंद आदि के प्रयोग के बारे में भी समझाया। बच्चों को पेपर मैशे, कागज, गत्ते, प्लास्टर ऑफ पेरिस, चॉक मिट्टी आदि के प्रयोग से मुखौटे व अन्य आकर्षक कलाकृति निर्माण की बारीकियों से भी रूबरू करवाया गया।

दिन के दूसरे सत्र में उतराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी, भाषा विशेषज्ञ व कला निर्देशक प्रेम मोहन डोभाल ने बच्चों से अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने गढ़वाली व हिन्दी भाषा के व्याकरण व विन्यास पर अहम जानकारियां दी। साथ ही बच्चों से अपनी मातृभाषा को अपनाने व समृद्ध करने का संकल्प लिया। उनके साथ प्रसिद्ध कवि देवेंद्र उनियाल ने भी बच्चों से गढ़वाली भाषा विन्यास पर बातचीत की। उन्होंने बच्चों को अपनी प्रसिद्ध गढ़वाली कविता मां के साथ अन्य स्वरचित कविताएं भी सुनाईं। कार्यक्रम संयोजक महेश गिरि व अरविंद नेगी ने आज के आयोजन में उपस्थित प्रेम मोहन डोभाल जी वरिष्ठ रंगकर्मी का आभार व्यक्त किया.

इस अवसर पर स्वैच्छिक शिक्षक मंच श्रीनगर गढ़वाल द्वारा प्रेम मोहन डोभाल को रंगकर्म की लम्बी सेवा के लिए सम्मानित किया गया. आयोजन में हेम चन्द्र मंमगाई, कमलेश जोशी,  जगमोहन कठैत, प्रदीप अणथ्वाल, अभिषेक बहुगुणा, सतीश बलोनी, शंकर कैंथोला, कैलाश धनाई, जेके पैन्यूली, मुकेश काला, अजय सेमवाल,  तृप्ति भाष्कर, प्रधानाध्यापिका शिशु मंदिर श्रीकोट गंगा नाली, मीनाक्षी पांडे, अंजू शाह, इंदू पंवार, गुरूद्वारा कमेटी के अध्यक्ष लक्की भाई, भूपेन्द्र नेगी, हिंमाशु डंगवाल आदि मौजूद थे।

मंत्री ने की शिविर की सराहना

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत सोमवार को अचानक उलार शिविर में पहुंचकर बच्चों से मुखातिब हुये। उन्होंने स्वैच्छिक शिक्षक मंच के प्रयासों को काबिले तारीफ बताते हुये उलार जैसे शिविरों को बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सहायक बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के केंद्र में ऐसे ही कार्यक्रमों को रखा गया है। ऐसे रचनात्मक शिविर बच्चों को बेहतर नागरिक बनाने में सक्षम हैं।