Joshimath Landslide: जोशीमठ में भू धंसाव और पीड़ितों के उचित बंदोबस्त की मांग को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति द्वारा पिछले 107 दिनों से चल रहा आंदोलन आज समाप्त हो गया है। संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि जोशीमठ की उपजिलाधिकारी के माध्यम से संघर्ष समिति द्वारा मुख्यमंत्री को दी गयी 11 सूत्री मांगों पर जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही का लिखित आश्वासन दिया गया है। जिसके बाद ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ ने अपना आंदोलन अस्थायी रूप से वापस ले लिया है। समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि अगले 20 दिनों तक कोई आंदोलन नहीं होगा।

सती ही वह शख्स थे जिन्होंने सबसे पहले जोशीमठ में जमीन धंसने का मुद्दा उठाया था। सती ने कहा कि समिति की 11 सूत्रीय मांगों की सूची पर गौर करने के लिए जोशीमठ अनुविभागीय मजिस्ट्रेट के लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन को फिलहाल के लिए वापस लेने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि 11 मई को समिति प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगी और उसके बाद आगे की कार्रवाई तय करेगी।

गौरतलब है कि जोशीमठ क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा से जमीन धंसने तथा इससे प्रभावित लोगों का उचित बंदोबस्त करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति पिछले करीब 3 महीने से आन्दोलनरत थी। परन्तु शासन/प्रशासन द्वारा उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही थी। इसबीच समिति ने राज्य सरकार को चेतावनी दी थी कि उनकी मांगों के समाधान की दिशा में कार्यवाही नहीं किए जाने पर बदरीनाथ यात्रा के दौरान जोशीमठ में चक्काजाम किया जाएगा। जोशीमठ को बदरीनाथ यात्रा का प्रवेशद्वार कहा जाता है। बदरीनाथ यात्रा 27 अप्रैल को शुरू हो रही है। जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और समिति की 11-सूत्रीय मांगों पर लिखित आश्वासन देकर इस आंदोलन को समाप्त करवाया गया।

ये हैं समिति की मुख्य मांगें

  • सम्पूर्ण जोशीमठ को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए प्रभावित वर्गों जैसे व्यवसाइयों, दिहाड़ी मजदूरों, पर्यटन पर निर्भर लोगों तथा कृषकों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए।
  • जोशीमठ भूधंसाव के संदर्भ में देश की शीर्ष आठ संस्थाओं द्वारा किए गए अध्ययन की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
  • सरकार द्वारा घोषित मुआवजा नीति में होम-स्टे को व्यावसायिक श्रेणी से हटाया जाए।
  • बेघर हुए प्रभावितों के लिए स्थाई पुनर्वास की व्यवस्था होने तक वैकल्पिक व्यवस्था कम से कम साल भर तक चलाई जाए।
  • तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की निर्माण एजेंसी एनटीपीसी कंपनी के साथ हुए 2010 के समझौते को लागू किया जाए।
  • समिति की मांगों की 11-सूत्रीय सूची में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास सड़क परियोजनाओं को स्थायी रूप से बंद करना शामिल है, जो कथित तौर पर जोशीमठ के भू धंसाव संकट के लिए जिम्मेदार हैं।