Srinagar News: धाद लोकभाषा एकांश गढ़वाल एवं स्वैच्छिक शिक्षक मंच श्रीनगर की ओर से अंतर्राष्ट्रीय लोकभाषा दिवस पर अजीम प्रेम जी फाउंडेशन श्रीनगर सभागार में सेमिनार व गढ़वाली कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे धाद संस्था के मुख्य संस्थापक लोकेश नवानी ने उत्तराखण्ड भाषा विकास के चार दशक विषय पर विस्तार से बात रखते हुए कहा कि साहित्यकारों को दुख, पीड़ा, पलायन जैसे पारंपरिक विषयों से हटकर नए विषयों में लेखन की शुरुआत करनी चाहिए। यह हम प्रत्येक उत्तराखंडी का संकल्प होना चाहिए कि अपने समाज में अपनी मातृभाषा का अधिकतम प्रयोग करें।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि भाजपा मंडल अध्यक्ष जितेन्द्र धीरवाण ने लोकभाषा के लिए काम कर रहे सभी साहित्यकारों व प्रबुद्ध जनों की प्रशंसा करते हुए लोकभाषा गढवाली, कुमाऊँनी को राजभाषा का दर्जा दिलवाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करने पर जोर दिया।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता जगमोहन सिंह रावत शिक्षाविद व प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज कोटद्वार व संचालन लोकभाषा के वरिष्ठ साहित्यकार मधुसूदन थपलियाल ने किया। वहीं आयोजन के दूसरे सत्र में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तराखण्ड राज्य के नामचीन कवियों ने कविता पाठ किया।
इस मौके पर लोकभाषा के चर्चित हस्ताक्षर वीरेन्द्र पंवार ने मी आजकल कविता नि लेखणू छौ, मेरी कवितन ना क्वी द्वार मोर उगाडया, ना कखि बाटा सुताया,ना नया बाठा बणाया,मेरी कवितन ना जू धारी कान्दमा, ना हैलि लगाई कविता का पाठ किया। तो गढकवि देवेंद्र उनियाल ने कन होदि ब्वे, नौना पर जब चोट लग्द, नौना दगड रोदि ब्वे, खैरि का दिनो मां, नौना सण पल्द ब्वे, घाम मा जांद तीसी रान्दि ब्वे, तीडी जण्डि घाम मा, पाणि पणिगे ल्वे कविता का पाठ किया। आखर संस्था के अध्यक्ष संदीप रावत ने मन कि आंख्यून अप्पते अप्फी देखि सक्दित देखिले…
धाद लोकभाषा एंकाश श्रीनगर की सचिव साईनी कृष्ण उनियाल ने सुपन्या बुण्या छा जू, मन मां पूरा ह्वेगिनी। कवियत्री प्रिया देवली ने सानि सानियो मा बिगोड छोडी दे, मन क दंदोल छोडी दे। धाद संस्था हरिद्वार से आए कवि मधुसूदन थपलियाल ने उठ खड उठ अर उठौ सवाल दगडया, कुछ नि होंदत फेर मचै बबाल दगडया का पाठ किया। चण्डी प्रसाद बंगवाल ने निर्दयि पराण क्वीत होलु अपणू हे निर्दयी पराण, त्वैन भित एक दिन दुनिया से जाण व कमलेश जोशी ने चैमिन खा पीजा खा खावा विदेशी खाणू बी असल बात या चा म्यारा खैरी खाणै सीखा तुम ने कविता पाठ करके वाह वाही लूटी।
काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता धाद संस्था केन्द्रीय इकाई के महासचिव तन्मय ममंगाई व संचालन लोकभाषा एंकाश श्रीनगर के अध्यक्ष कमलेश जोशी ने किया।
कार्यक्रम के संयोजक व धाद लोकभाषा एंकाश श्रीनगर इकाई के उपाध्यक्ष महेश गिरि व अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के प्रदीप अथ्वाल ने धाद की इस मुहिम की प्रशसा करते हुए सभी अतिथियों व उपस्थित बुद्धिजीवियों का आभार प्रकट किया, साथ ही इस अवसर पर धाद लोकभाषा एंकाश श्रीनगर की ओर से गढवाली कुमाऊँनी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के साथ ही गढ-कुमाऊँ भाषा शोध संस्थान गठित करने की मांग सरकार से की।
आयोजन में माधुरी रावत, प्रदीप अथ्वाल,अजय सेमवाल,मींमासा, राकेश मोहन कण्डारी,राहुल ने सहयोग देकर आयोजन को सफल किया। अंतर्राष्ट्रीय लोकसभा के अवसर पर धाद संस्था द्वारा एक सप्ताह तक विभिन्न कार्यक्रम आन लाइन व आफ लाइन आयोजित किए जाएगे।