khairaling-mundneshwar-mela

कल्जीखाल : पौड़ी गढ़वाल में विकासखंड कल्जीखाल के असवालस्यूं पट्टी के अन्तर्गत मुंडनेश्वर में पिछले 469 वर्षों से लगातार प्रत्येक वर्ष जून माह में लगने वाला दो दिवसीय ऐतिहासिक खैरालिंग (मुंडनेश्वर) मेला इस साल कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया है। जानकारों के अनुसार मुंडनेश्वर महादेव में लगने वाले पौराणिक एवं ऐतिहासिक खैरालिंग मेला की शुरुआत वर्ष 1551 से हुयी थी। तब से प्रतिवर्ष यहाँ दो दिवसीय मेले का आयोजन होता आया है। एक समय खैरालिंग मेला पशुबलि के लिए प्रसिद्ध था परन्तु समय के साथ समाज में भी बदलाव आया और वर्ष 2010 के बाद उत्तराखंड के अन्य मेलों की तरह इस मेले में भी बलि प्रथा बंद कर दी गई। जब तक बलि प्रथा चली तब तक मंदिर के पुजारियों द्वारा जून माह के प्रथम सप्ताह और कभी कभी दूसरे सप्ताह के बीच शुभ लग्न देखकर दो दिवसीय मेले की तिथि निकाली जाती थी। परन्तु पिछले कुछ वर्षो से मेला समिति और मंदिर के पुजारियों की सहमति के बाद इस दो दिवसीय मेले की तिथि हमेशा के लिए 6-7 जून फिक्स कर दी गई। इस वर्ष देशभर में फैली कोरोना महामारी के चलते आयोजन समिति को आज ही के दिन यानी 6-7 जून को होने वाले खैरालिंग मेले को इस बार स्थगित करना पड़ा।

आज मेला स्थल सूना दिखाई दिया जहाँ हजारों की संख्या श्रद्धालु पहुँचते थे और दुकाने सजी होती थी वहाँ आज मन्दिर प्रांगण सूना दिखाई दिया। मन्दिर में आज पुजारी द्वारा विधिवत वार्षिक पूजन किया गया। कतिपय श्रद्धालु मेला स्थल पर पहुँचे लेकिन प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को मन्दिर के बहार से ही सोशल डिस्टेंस के माध्यम से दर्शन करवाया गया।

जैसा कि मेला नाम का अर्थ ही मिलन होता है। पुराने समय में जब कि मोबाइल फोन, एक दूसरे के यहाँ आने जाने के ज्यादा साधन नहीं हुआ करते थे, तब मेलों का आयोजन इसी उद्देश्य से किया जाता था कि इस बहाने अपने दूर दराज के नाते-रिश्तेदारों में मेल मुलाकात हो सके। खैरालिंग मेले के लिए मूल रूप से तीन पट्टियों (असवालस्यूं, पटवालस्यूं एवं मनियारस्यूं) के लोग चाहे वे देश विदेश में कहीं भी बस गए हों, इस मेले के लिए जरुर अपने गाँव आते थे। साथ ही इन तीन पट्टी के लोगों के रिस्तेदार गढ़वाल के कोने-कोने से कुछ दिन पूर्व ही यहाँ के गाँव में आ जाते थे। जिस कारण यहाँ मई-जून के महीने गाँव भरे रहते थे और गांवों में खूब रौनक रहती थी। इस बार कोरोना ने सब कुछ बदल दिया। हालाँकि कोरोना के चलते कुछ थोड़े बहुत लोग गांवों में पहुंचे हैं। पर इस बार वो रौनक नहीं है बल्कि लोग डरे सहमे हैं।

इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य सजंय डबराल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य त्रिभुवन उनियाल, ज्येष्ठ उपप्रमुख अनिल नेगी, खैरालिंग मुंडनेश्वर विकास समिति प्रचार मंत्री मनीष खुगशाल स्वतन्त्र, पत्रकार जगमोहन डांगी एवं विक्रम पटवाल के अलावा क्षेत्र के राजस्व उपनिरिक्षक हरीश चंद्र पांडे के नेतृत्त्व में राजस्व पुलिस टीम मौजूद रही। देवभूमि संवाद के लिए मनीष खुगशाल, जगमोहन डांगी एवं विक्रम पटवाल की रिपोर्ट।

469 वर्षों में पहली बार खाली दिखा खैरालिंग मुंडनेश्वर मेले का थौल, नहीं सजी जलेबी की दुकानें

Posted by Devbhoomisamvad on Sunday, 7 June 2020