सतपुली : कोरोना महामारी के चलते पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड कल्जीखाल की पट्टी असवालस्यू के मुंडनेश्वर में प्रतिवर्ष 6 और 7 जून को लगने वाले पारंपरिक व पौराणिक खैरालिंग महादेव मेले का भव्य आयोजन इस वर्ष भी नही हो पायेगा।
मन्दिर मेला सामिति के अध्यक्ष बलवन्त सिंह नेगी ने बताया कि कोरोना के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी खैरालिंग मुंडेश्वर महादेव मेले को स्थगित किया जाता है क्योंकि भारत सरकार द्वारा जारी की गई गाइड लाइन के अनुसार किसी भी धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। जिसके चलते हैं सामिति ने यह निर्णय लिया कि इस वर्ष भी खैरालिंग मुंडेश्वर महादेव मेले को स्थगित किया जाये और कोरोना गाइडलाइन के साथ पुजारियों द्वारा विधिवत पूजा अर्चना की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि पौड़ी गढ़वाल के विकासखण्ड कल्जीखाल के अन्तर्गत मुंडनेश्वर स्थित खैरालिंग महादेव मंदिर में विगत करीब 470 वर्षों से हर साल जून माह में दो दिन के भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। खैरालिंग मेले में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। पहले दिन महादेव की ध्वजा के साथ श्रद्धालु पारंपरिक बाध्ययंत्रो दोल दमाऊ की थाप में नाचते हुए खैरालिंग महादेव को ध्वजा चढ़ाते है। और दूसरे दिन खैरालिंग महादेव व माँ काली की पूजा साथ बड़ी मात्रा में पशुबलि की जाती थी जो कि पिछले कुछ सालों से अब पूर्ण रूप से बंद है। साथ ही विगत कुछ वर्षों से मेले की तिथि में 6 और 7 जून को फिक्स कर दी गई है।
परन्तु पिछले वर्ष दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के चलते मुंडनेश्वर स्थित खैरालिंग महादेव मंदिर में मेले का आयोजन नहीं हो पाया था। श्रद्धालुओं को उम्मीद थी कि शायद इस साल तक हालात सही हो जायेगें और इस साल मेले का आयोजन धूमधाम से होगा। परन्तु ऐसा नहीं हो पाया और एक बार फिर कोरोना की दूसरी लहर का साया खैरालिंग मेले के आयोजन पर भी पड़ गया। इस बार भी कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मेला समिति ने खैरालिंग महादेव में आज जनता के लिए मेले का आयोजन न करने का निर्णय लिया है। इस बार भी पुजारी महाराज द्वारा खैरालिंग महादेव व माँ काली की पूजा अर्चना कर भगवान को भोग प्रसाद चढ़ाया जायेगा और मंदिर में ध्वजा चढ़ाई जाएगी। इस बार भी खैरालिंग महादेव का थाल खाली दिखेगा जहाँ प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में लोग होते थे। कोरोना के चलते दूसरे वर्ष भी भक्तों को उदासी ही हाथ लगी है।