श्रीनगर गढ़वाल : हिमालय साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल द्वारा प्रकृति के चितेरे कवि स्व० चंद्र कुंवर बर्त्वाल की 101वीं जयंती के अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा की अध्यक्षता में एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कोरोना महामारी के संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए गोष्ठी में अत्यंत सीमित साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया। गोष्ठी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए प्रतिभागियों ने अपने विचार रखे। प्रोफेसर उमा मैठाणी ने स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल की 101वीं जयंती के अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करते हुए भावभीनी श्रृद्धांजलि अर्पित की।
डॉ. प्रकाश चमोली ने स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल के काव्य संसार पर विस्तृत चर्चा की। कृष्णा नंद मैठाणी ने महान कवि स्व. चंद्र कुंवर बर्त्वाल को नमन करते हुए स्वरचित रचनाओं का काव्य पाठ किया। कीर्तिनगर से पधारे कवि जय कृष्ण पैन्यूली ने स्व. चंद्र कुंवर बर्त्वाल की स्मृति में साहित्यिक संस्थान अथवा अकादमी को स्थापित किए जाने का प्रस्ताव रखते हुए स्वरचित रचनाओं का प्रभावशाली काव्य पाठ किया। श्रीकोट से पधारे हेम चंद्र ममगांई ने हिमालय साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल की स्थापना से लेकर अद्यावधि तक संस्था द्वारा तय की गयी साहित्यिक यात्रा का विस्तार से वर्णन किया। गोष्ठी में आरती पुण्डीर ने स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल पर केंद्रित स्वयं की स्वरचित कविता का पाठ कर गोष्ठी आयोजन को सार्थकता प्रदान की।
एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के गणित विभाग के प्रोफेसर आरसी डिमरी ने चंद्रकुंवर बर्त्वाल की कविताओं का पाठ करने के साथ ही स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल के मूल गांव मालकोटी एवं उत्तर्राद्ध में उनके निवास पांवलिया में स्मारक बनाए जाने का सुझाव प्रस्तुत किया। दिनेश उनियाल ने स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल की जन्मस्थली मालकोटि की अपनी यात्रा को साझा करते हुए कुंवर द्वारा रचित अंतिम कविता का पाठ किया गया। इस अवसर पर प्रतिभावान कवियत्री साइनी उनियाल ने हिमालय वंदना प्रस्तुत कर श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी। मुकेश सेमवाल ने गुजरात के रचनाकारों एवं साहित्यकारों से स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल की तुलना करते हुए विवेचनात्मक व्क्तव्य प्रस्तुत किया। पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त चिकित्साधिकारी डा. ऋतु सिंह ने सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके अपने लोकप्रिय ‘चले आओ पहाड़ों पर निमंत्रण दे रही हूं मैं’ का मधुर स्वर में गायन कर खूब तालियां बटोरीं। नवोदित रचनाकार अंजलि आहूजा ने स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल की चयनित रचनाओं का पाठ कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। विश्व विद्यालय की हिंदी स्नातकोत्तर छात्रा कु. रेशमा पंवार ने चंद्र कुंवर के रचना संसार की विस्तृत व्याख्या करते हुए काव्य पाठ कर समस्त उपस्थित साहित्यकारों का मन मोह लिया। नीरज नैथानी ने स्व. जीत सिंह रावत द्वारा चंद्र कुंवर की अंग्रेजी में अनूदित रचनाओं का काव्य पाठ किया। गोष्ठी का संचालन नीरज नैथानी द्वारा किया गया। गोष्ठी में डा० विमला चमोला, श्रीमती माधुरी नैथानी, पत्रकार कृष्ण उनियाल, वीर राज सिंह, श्रीमती कामनी नैथानी, राकेश आहूजा आदि साहित्य प्रमियों ने प्रतिभाग किया। समापन अवसर पर धन्यवाद ज्ञापित करने से पूर्व विमल बहुगुणा ने प्रोफेसर उमा मैठाणी द्वारा स्व. चंद्रकुंवर बर्त्वाल के साहित्य पर किए गए उल्लेखनीय प्रयासों को रेखांकित करते हुए, स्वरचित लोकगीत गाकर गोष्ठी को सफलता के उच्च पायदान पर स्थापित कर दिया।