पौड़ी: उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. रणवीर सिंह चौहान का आज सुबह उनके कोटद्वार स्थित आवास में निधन हो गया है। वे अपने बेटे शिक्षक आशीष चौहान के साथ देवी नगर कोटद्वार में रहते थे। उनके बेटे आशीष चौहान ने बताया कि वे कुछ दिनों से थोड़ा अस्वस्थ चल रहे थे। हालाँकि इसके बावजूद भी वह रोज लेखन कार्य करते रहते थे। उनका अंतिम संस्कार आज हरिद्वार में किया गया। उनके गीत लम्बे समय तक बने रहेंगे।

78 वर्षीय रणवीर सिंह चौहान के निधन से साहित्य, संस्कृति एवं इतिहास को अपूर्णीय क्षति हुई है। डॉक्टर रणवीर सिंह चौहान की कोटद्वार में साहित्य जगत में बड़ी सक्रियता रहती थी। उनके जाने से कोटद्वार में साहित्य जगत में बड़ी क्षति हुई है। 7वीं ई. की राजधानी ब्रह्मपुर नंदा राजजात रूपकुंड की खोज करने वाले डॉ रणवीर सिंह चौहान पहले इतिहासकार थे। उन्होंने कत्यूरी राजवंश जैसे उत्तराखंड के इतिहास का दुर्लभ प्रकाशन भी किया है।

समाजिक कार्यकर्ता ग्रामीण पत्रकार जगमोहन डांगी बताते हैं कि उनके द्वारा डांगी का इतिहास पर (सात सौ वर्ष पूर्व डांगी गांव की स्थापना) एक पुस्तक वंशावली भाग दो पर तैयारी चल रही थी। जून में गांव के सात सौ साल पूरे होने पर “हमारी संस्कृति हमारी विरासत” कार्यक्रम होना था। डॉक्टर रणवीर सिंह चौहान के एक जमाने में नजीबाद और लखनऊ आकाशवाणी केंद्रों से कई एकांकी नाटक सुनने को मिलते थे। उन्होंने लगभग 40 से ज्यादा पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने कई गीत भी लिखे हैं जो विभिन्न लोक गायकों ने गाए गए हैं। हंत्या पुजै और जनरल बकरा जैसे उनके चर्चित नाटक हैं। डॉ रणवीर सिंह चौहान ने बचपन में लैंसडाउन में जनरल बकरा स्वयं अपने आंखों से दिखा था।