Lok Sabha membership of Rahul Gandhi ended

केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्य रद कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि राहुल गांधी अब सदस्यता के लिए अयोग्य हैं।  राहुल गांधी अब वायनाड से लोकसभा सांसद नहीं रहेंगे। राहुल गांधी को गुजरात के सूरत सेशन कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है यही वजह है कि उनका पद छीना जा चुका है।

लोकसभा सचिवालय के संयुक्त सचिव पीसी त्रिपाठी की ओर से आज जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि वायनाड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्यव करने वाले  राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (I)(e) के प्रावधानों एवं जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 के तहत उनकी यह अयोग्यता सजा सुनाए जाने की तारीख यानी 23 मार्च 2023 से प्रभावी होगी।

बता दें कि किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि को किसी भी अपराध के लिए दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाए जाने पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत तत्काल अयोग्यता का सामना करना पड़ता है। अधिनियम का एक प्रावधान जिसने अयोग्यता से तीन महीने की सुरक्षा प्रदान की थी, उसे 2013 में सुप्रीम द्वारा अल्ट्रा वायर्स के रूप में रद्द कर दिया गया था। लिली थॉमस मामले में न्यायालय। राहुल गांधी के मामले में सूरत की अदालत ने उनकी कानूनी टीम के अनुरोध पर 30 दिनों के लिए उनकी सजा को निलंबित कर दिया ताकि उन्हें फैसले को चुनौती देने का अवसर मिल सके।

गौरतलब है कि गुरुवार कोमोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को कोर्ट ने 2 साल की सजा सुना दी। कोर्ट ने उन पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक अगर किसी सांसद या विधायक को 2 साल की कैद होती है तो उसकी सदस्यता रद हो जाती है। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है। अब अगर निचली कोर्ट का आदेश रद नहीं होता है तो 8 साल तक राहुल गांधी चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। ऐसे में राहुल गांधी को अगर सजा होती है, तो वे 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में गुजरात की एक अदालत ने दो साल के कारावास की सजा सुनाई है, जिसके बाद से उनकी लोकसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा था। वैसे तो अदालत ने सजा सुनाने के बाद ही उनकी सजा निलंबित कर दी थी और उन्हें जमानत देते हुए अपील के लिए 30 दिन का समय भी दिया है, लेकिन इससे उन्हें बहुत राहत मिलती नहीं दिख रही है। राहुल को अब अपनी संसद सदस्यता बचाने के लिए अपनी अपील में पूरे केस को गलत साबित कर स्वयं को निर्दोष साबित करना होगा या फिर शिकायतकर्ता से समझौता करना होगा।

राहुल गांधी ने क्या कहा था?

राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 13 अप्रैल को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था, ”नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेन्द्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है? राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज कराया था।

अब क्या विकल्प हैं राहुल गांधी के पास?

राहुल गांधी की संसद सदस्यता बचाने के सभी रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं। उनके पास हाईकोर्ट में जाने का विकल्प है। अगर हाईकोर्ट सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा देता है तो उनकी सदस्यता बच सकती है। वहीं, अगर हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो राहुल सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। शीर्ष अदालत अगर फैसले पर स्टे लगा देता है तो उनकी सदस्यता बच जाएगी। अगर उन्हें राहत नहीं मिलती है तो वे आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

क्या था सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्क्रिय करने वाला अध्यादेश?

सितंबर 2013 में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को निष्क्रिय किया था, जिसमें कहा गया था कि सांसदों और विधायकों के दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। फैसले के खिलाफ अध्यादेश पारित भी हो गया था और उस वक्त भाजपा, वामदल समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध भी किया था। विपक्षी पार्टियों के हंगामे के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यादेश की अच्छाइयों को जनता के सामने रखने की कोशिश की थी, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच में राहुल गांधी पहुंचे और खुद की ही सरकार पर सवाल खड़े करने लगे। इस दौरान उन्होंने अध्यादेश को बकवास बताया था और अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। और इस तरह राहुल गांधी के दखल के बाद यूपीए सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया गया था. अगर उस समय इस अध्यादेश को वापस नहीं लिया जाता, तो शायद आज राहुल गाँधी के साथ ये स्थिति नहीं होती।

उस वक्त राहुल गांधी ने कहा था कि राजनीतिक दलों की वजह से हमें इसे लाने की आवश्यकता है। हर कोई यही करता है, लेकिन यह सब बंद होना चाहिए। अगर हम देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं, तो ऐसे सभी छोटे समझौते बंद करने पड़ेंगे। साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को गलत बताया था।