देहरादून : 10 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा 2022 के नतीजे घोषित किये जायेंगे। इसबीच आने वाले चुनाव परिणामों को लेकर आम जनता के साथ-साथ कर्मचारियों में भी खासा उत्साह है। राज्य में पुरानी पेशन व्यवस्था से वंचित कर्मचारी लगातार पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन कर रहे हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में कई राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाली को स्थान दिया है।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 1 जनवरी 2004 से और राज्य सरकार द्वारा 1 अक्टूबर 2005 से पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर नई पेंशन योजना प्रारंभ की गई थी। तब कर्मचारी संगठनों द्वारा इस योजना का विरोध नहीं किया गया।। उस समय नियुक्त कर्मचारी इस योजना के दुष्परिणामों से अनभिज्ञ थे। इस योजना का विरोध तब प्रारंभ हुआ , जब नई पेंशन योजना से आच्छादित कर्मचारी सेवानिवृत्त होने लगे और उन्हें 1000 से 2000 रुपए तक न्यून पेंशन मिलने लगी।।
प्रारंभ में इस योजना के विरोध में ऐसे संगठन जुड़े, जिनका मकसद कर्मचारियों के हितों से अधिक अपने राजनीतिक हितों को साधना था, लेकिन बहुत जल्दी कर्मचारी इनकी असलियत को समझ गए और उनके द्वारा विभिन्न संगठनों के जरिए पुरानी पेंशन की आवाज को बुलंद किया गया है ।
वर्तमान में देशभर के कर्मचारी संगठन अब मिशन पुरानी पेंशन को लेकर गंभीर हैं और लगातार आंदोलन कर रहे हैं। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा का कहना है कि सरकार ने पूंजीपतियों और अफसरों के साथ मिलकर नई पेंशन योजना को तैयार किया ताकि पूंजीपती वर्ग को लाभ मिल सके। अगर नई पेंशन योजना इतनी ही अच्छी होती तो यह विधायकों और सांसदों पर भी लागू होनी चाहिए थी । लेकिन सरकारों को तब इस योजना के भविष्य के विषय में पूरी तरह पता था, खुद इस योजना को लाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जीवन भर पुरानी पेंशन योजना पर आश्रित रहे।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा का कहना है कि जब घर का सदस्य बूढ़ा हो जाता है तो उसे गंगा में नहीं बहा देते, लेकिन सरकार 60 वर्ष तक कर्मचारी को पूरी तरह निचौड़ने के बाद मरने के लिए छोड़ दे रही है, जो कि व्यक्ति के जीवन जीने के अधिकार का हनन है।
दुर्भाग्यवश पुरानी पेंशन का मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनाव में जगह नहीं बना पाया लेकिन 2022 के विधानसभा चुनावों में इसने राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करने पर मजबूर कर दिया। अब यह भविष्य ही बताएगा कि कर्मचारी पुरानी पेंशन के मुद्दे पर कितने एकजुट हुए थे।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा का मानना है कि राजस्थान सरकार द्वारा किए गए पुरानी पेंशन बहाली के बाद देशभर में कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन के लिए और मुखर हो गए हैं।
2024 में केंद्र सरकार का भविष्य भी कर्मचारियों की इस योजना की बहाली पर निर्भर करेगा। 2024 में जो सरकार केंद्र में पुरानी पेंशन बहाली को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेगी, कर्मचारी उसी की तरफ रुख करेगा। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड की प्रदेश कार्यकारिणी एवं सभी एनपीएस धारक सदस्य राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री जी का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं आपके द्वारा लिये गये महान निर्णय के लिए हम सभी जितना भी आपको धन्यवाद ज्ञापित करें, वह कम ही है। आपने प्रत्येक राज्य की सरकार को एक रास्ता दिखाया है कि वह अपने नागरिकों एवं अपने राजकीय सेवकों के लिए इस निर्णय को पारित कर सकती है। क्योंकि उनके द्वारा अपने जीवनकाल में सबसे ज्यादा समय अपनी राजकीय सेवा को दिया गया है।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड अपने उत्तराखण्ड की आने वाली सरकार का से यही उम्मीद करता है कि आप हमारी इस जीवनोपयोगी मांग को मानकर पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर पुनः जीपीएफ व्यवस्था सभी राजकीय कार्मिकों हेतु लागू करने का निर्णय पारित करे।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा द्वारा अभी तक पुरानी पेंशन बहाली को लेकर निम्नलिखित कार्यक्रम किए गए हैं।
- एक दीप पुरानी पेंशन बहाली के नाम
- पोस्टर के माध्यम से प्रचार प्रसार
- ट्विटर अभियान
- दीपावली पर्व पर पुरानी पेंशन रंगोली कार्यक्रम
- एनपीएस महिला कार्मिकों के द्वारा करवा चौथ पुरानी पेंशन मेंहदी कार्यक्रम
- होली पर एनपीएस की प्रतियों का दहन
- पुरानी पेंशन बहाली उपवास कार्यक्रम
- 1 जनवरी एनपीएस काला दिवस कार्यक्रम
- 1 अक्टूबर एनपीएस काला दिवस कार्यक्रम
- स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देशव्यापी ट्विटर महाअभियान #NPS_QUIT_INDIA
- पोस्ट कार्ड के माध्यम से पुरानी पेंशन
- होली के दिन एनपीएस दहन कार्यक्रम
- विजयदशमी को एन पी एस रूपी रावण का दहन जैसे कार्यक्रम किये गये।
अब ऐसे में पूरी स्थिति सामने है और उत्तराखण्ड के कार्मिको की नजर चुनाव के परिणामो पर है सरकार आते ही आगे के कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे।