Maa-Dhari-Devi-sits-in-her-original-place

Dhari Devi Mandir: चार धामों की रक्षक की रक्षक मानी जाने वाली सिद्धपीठ मां धारी देवी नौ साल बाद आज पूरे विधि-विधान के साथ अस्थाई मंदिर से अपने मूल स्थान पर विराजमान हो गयी। इस शुभ घड़ी का गवाह बनने के लिए सुबह चार बजे से ही श्रद्वालुओं का तांता मंदिर में लगना शुरू हो गया था। श्रीनगर गढ़वाल से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित सिद्धपीठ मां धारी देवी मंदिर ट्रस्ट के पुजारियों द्वारा सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर चर लग्न में मूर्ति को अस्थायी मंदिर से उठा कर 8 बजकर 10 मिनट पर स्त्री लग्न में नए मंदिर में स्थापित किया गया। मां धारी देवी की मूर्ति सहित अन्य प्रतिमाओं को नए मंदिर में शिफ्ट से पहले बीते मंगलवार से 4 दिनों तक शतचंडी यज्ञ किया गया। जिसके बाद आज 9 साल बाद मां धारी देवी की मूर्ति नए मंदिर में स्थापित की गई है।

इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्वालु धारी देवी मंदिर में मौजूद रहे। मंदिर परिसर को 25 क्विंटल फूलों से सजाया गया। भक्तों को समस्या ना हो, इसलिए भक्तों के लिए 10 बजे से दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिये गए। व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस बल की भी मदद ली गयी। मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 10 बजे बाद दर्शन के लिए खोले गए। इस दौरान श्रीनगर विधायक व उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत भी मां की आराधना के लिए मंदिर में पहुंचे।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि जल्द मंदिर परिसर के आसपास के इलाके में सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। मंदिर के निकट एक बड़ा स्नान घाट बनाया जाएगा। मंदिर को जाने वाली सड़क को पक्का करने की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। मंदिर में सुविधाओं को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार एक बड़ी योजना के तहत धारी देवी परिसर को सजाने संवारने का कार्य करेगी।

गौरतलब है कि श्रीनगर जल विद्युत परियोजना निर्माण के बाद यह मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया था। जिसके बाद जीवीके कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण किया गया। इसके बाद साल 16 जून 2013 की केदारनाथ आपदा के कारण अलकनंदा का जलस्तर बढ़ने पर मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया। लगभग चार साल पूर्व कंपनी की ओर से इसी के समीप नदी तल से करीब 30 मीटर ऊपर पिलर पर पर्वतीय शैली में आकर्षक मंदिर का निर्माण कराया गया, लेकिन कंपनी और लोगों में सहमति न बन पाने की वजह से बार-बार प्रतिमाओं की शिफ्टिंग की तिथि आगे खिसकती रही। अब आखिर में पुजारी न्यास ने नौ साल बाद मां धारी देवी की मूर्ति को अपने मूल स्थान पर स्थापित किए जाने का निर्णय लिया।

श्रीनगर गढ़वाल से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित सिद्धपीठ मां धारी देवी का मंदिर है। यहां भक्त हर रोज दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं। जहां हर दिन माता को अलग अलग रूपों में भक्त देखते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद माता धारी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह कन्या रूप में दिखती है, दिन में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। माता को लेकर मान्यता है कि वह चारधाम की रक्षा करती हैं और मां को पहाड़ों की रक्षक देवी भी माना जाता है।