ma-kalratri

मां काली के अनन्य उपासक तथा अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष अखिलेश चंद्र चमोला ने कहा कि जगत जननी जगदंबा के सातवें स्वरूप में मां कालरात्रि की पूजा की जाती. उन्होंने कहा कि शास्त्र में कहा गया है कि कालरात्रि वर्दा कल्याणी अर्थात मां कालरात्रि अपने भक्तों को अभय प्रदान करते हुए सदैव उनका कल्याण करते हैं. उन्होंने कहा कि मां कालरात्रि का रूप वैसे तो अत्यंत विकराल है लेकिन वह अपने भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी हैं. अखिलेश चंद्र चमोला बताते हैं कि “जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते” इस मंत्र के साथ मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करना बेहद श्रेयस्कर होता है श्री चमोला ने माता कालरात्रि की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संपूर्ण ब्रह्मांड उन्हीं की ज्योति से प्रकाशमान है. अर्थात जिस प्रकार जल में शीतलता, अग्नि में दहकते सूर्य में ताप, चंद्रमा में आह्लादित, पुष्प में गंध और दूध में घी व्याप्त रहता है उसी प्रकार सर्वत्र मां कालरात्रि ही इस चराचर जगत में व्याप्त हैं. उन्होंने कहा कि माता कालरात्रि को ही जगत की सृष्टि पालन और संहार की देवी भी कहा गया है. इसलिए एकाग्र चित्त होकर मां कालरात्रि का ध्यान कर उस विश्व सृष्टा, सनातन अजन्मा अविनाशी महादेवी मंगलमय मां की शरण में जाना चाहिए.