Chief Minister Self-Employment Scheme

पलायन की मार झेल रहे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए कोरोना महामारी परेशानी के साथ-साथ एक उत्साहवर्धक सौगात भी लेकर आई है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किये गए लॉक डाउन से कामधंधे बंद होने के कारण देश/विदेश के विभिन्न हिस्सों से करीब 60 हजार प्रवासी पहले ही उत्तराखंड लौट चुके हैं। जबकि करीब 1 लाख 70 हजार से ज्यादा लोगों ने उत्तराखंड लौटने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है। जिन्हें राज्य सरकार वापस लाने का प्रयास कर रही है। उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को उनके गांवों/शहरों में रोकना उत्तराखंड सरकार के लिए एक उत्तम अवसर होने के साथ ही चुनौतीपूर्ण कार्य भी है। उत्तराखंड का रुख कर रहे प्रवासियों को रोकने के लिए राज्य सरकार व्यापक तैयारी में जुट गई है।

गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता हुई कैबिनेट बैठक में पलायन को रोकने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को मंजूरी दी है। सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के लिए फिलहाल 15 करोड़ के बजट की व्यवस्था की है। जिससे प्रवासियों को तत्काल योजना का लाभ मिल सके। योजना में सभी तरह के कारोबार और उद्योग लगाने की अनुमति है। इसके तहत लोगों को सूक्ष्म-लघु एवं मध्यम उद्योग नीति के तहत स्वरोजगार के लिए ऋण मुहैया कराया जाएगा। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की खास बात यह है कि इसमें दुकान खोलने से लेकर मुर्गीपालन, पशुपालन, डेयरी और 25 लाख तक के मैन्युफैक्चरिंग और 10 लाख तक सर्विस सेक्टर के उद्योग लगा सकते हैं। प्रवासियों को निर्माण क्षेत्र में 25 लाख ऋण पर 3.75 लाख से लेकर 6.25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख ऋण पर 1.50 लाख से लेकर 2.50 लाख तक अनुदान देने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया है। इस योजना का 18 या उससे अधिक आयु का कोई भी उत्तराखंड लौटा व्यक्ति बिना किसी शैक्षिक योग्यता के लाभ ले सकेगा। राज्य सरकार की यह पहल पलायन रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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