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उत्तराखण्ड और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री करेंगे ‘मुंबई कौथिग’ में सिरकत

मुंबई: पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत, लोक परिवेश और लोक गाथाओं को सांस्कृतिक मंच प्रदान करने के लिए देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 18 जनवरी से 27 जनवरी तक दस दिवसीय “मुंबई कौथिग” महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। इस बार कौथिग के कैनवास पर मां नन्दा देवी की छवि होगी तो, उत्तराखंड का सांस्कृति परिवेश मुंबई नगरी को गुंजयमान करेगी।

12वें वर्ष में परिवेश कर रहे इस महोत्सव में लोग अपनी संस्कृति से जुड़ने व उसे महसूस करने के लिए मुंबई महानगर क्षेत्र के प्रवासी उत्तराखंडियों की भीड़ विभिन्न उपनगरों से नेरुल पहुंच चुकी है। मुंबई के नेरुल के रामलीला मैदान में हर वर्ष आयोजित होने वाले इस महोत्सव को देखने के लिए आम उत्तराखंडी प्रवासी समुदाय पुणे, नाशिक, दिल्ली और गुजरात जैसे दूरदराज के क्षेत्रों से पहुंचकर इस सांस्कृति उत्सव का आनंद ही नहीं लेते बल्कि अपने लोगों से मिलकर अपनी सांस्कृतिक विचारधारा को धरातल पर उतारते है।

मुंबई कौथिग फाउंडेश के संयोजक एवं पत्रकार केशर सिंह बिष्ट ने बताया कि इस बार कौथिग में आने वाले लोगों को मां नंदा देवी का आशीर्वाद मिलेगा,  मां नंदा देवी जो एक धार्मिक यात्रा है। यह उत्तराखंड के सर्वाधिक प्रसिद्ध सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है। श्री बिष्ट ने बताया की कौथिग हमारी सांस्कृति विचारधारा को जोड़ने का संकल्प हैं, इस ध्वज के नीचे हम पहाड़ के लोगों को एक जुट कर मुंबई जैसे शहर में पिछले 11 वर्षों से इस मंच पर लेकर आ रहे है। यकीनन यह हमारे संघर्षों का परिणाम हैं कि हम सिर्फ नाचने-गाने की लीक पर नहीं चल रहे, अपितु हम एक सांस्कृति विचारधारा को जीवंनत बनाते हुए, अपने लोक उत्सव को जीवंनत बनाए रखने के लिए निरंतर आगे बढ़ रहे है। इसमें निश्चिच तौर पर हमारे साथ हमारे प्रबुद्धजनों का साथ है। हमारी पूरी कौथिग टीम के संघर्ष है। इन्हीं संघर्षों के साथ आज हम मुंबई जैसे शहर में खुद के वजूद के साथ खड़े है..।

मुंबई कौथिग आयोजन समिति कौथिग फाउंडेशन के अध्यक्ष हीरा सिंह भाकुनी वा कार्यकारी अध्यक्ष सुशील कुमार जोशी ने उत्तराखंडी लोगों से कौथिग में आने के निवेदन के साथ कहा हैं कि मुंबई कौथिग संस्कृति, कला और संगीत का संगम है। आप इस समंग में आकर हमारे साथ खड़े होंगे तो निश्चित तौर पर यह हमारे पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व की बात होगी। हम जिस सांस्कृतिक विचारधारा को लेकर आगे बढ़ रहे है। यह निश्चिर तौर पर आपके संघर्षों की गाथा भी है। इस गाथा को हम आज से इस सांस्कृति मंच पर उकेरने जा रहे है। जिसके लिए आपके अनेक रंगों की आवश्यकता हमें है।

इस बार कौथिग महोत्सव में उत्तराखंड के संस्कृति, कला, संगीत, गायन व नृत्य सहित मॉं नंदा देवी के स्वरूप को दर्शाय गया है। साथ ही इस मंच पर उत्तराखंड हमेशा की तरह उत्तराखंड की लोक गाथाओं को लेकर उत्तराखंड के तमाम लोक कलाकार प्रस्तुति देने को तैयार।

सम्मानित अतिथियों की बात करें तो महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेद्र सिंह रावत, समाज सेवी माता मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज, सासंद अजय टम्टा, उत्तराखंड राज्य के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, सुबोध उनियाल,  समाज सेवी मोहन काला, माधवानंद भट्ट,  फिल्म कलाकारों एवं गीतकारों  सहित उत्तराखंडी प्रवासी समाज से जुड़े कई अन्य अतिथि उपस्थित रहेगे।

कौथिग महोत्सव के आयोजन के प्रमुख कारणों में एक शहरों में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों को उनके जन्मस्थान व उनके पुरखों की कर्मस्थली रहे मूल गांवों से जोड़ने का प्रयास करना है। बीते कई दशकों में बड़ी संख्या में पहाड़ों के वासी रोजी-रोजगार की तलाश में अपने मूल गांवों से निकालकर शहरों में बस चुके हैं। आज लगभग तीन हजार से अधिक गांव मानव-विहीन या गैर-आबाद’ हो चुके हैं। अपने गांवों की तरफ लौटने के आह्वान के साथ उत्तराखंड सरकार भी पहाड़ों में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने में जुटी है। इस अभियान को और मजबूती देने के लिए ‘कौथिग फाउंडेशन’  भी समय-समय पर लोगों से आह्वान करती रही है। इस बार मां नंदा के आशीष के साथ लोगों से अपील हैं कि एक बार अपने खेत-खलिहानों को आबाद करने को लेकर अवश्य सोचं..।

उत्तराखंड की संस्कृति के संरक्षण और इसे पहचान दिलाए जाने के लिए मुंबई में आज से दस दिवसीय कौथिग शुरू हो रहा हैं। जिसमैं आप अपनी संस्कृति के रंग तो देखेंगे ही साथ ही पहाड़ से आए उत्पादों को खरीद कर अपनी आंचलिक जीवन धारा से भी जुड़ेगे…इसलिए यहां लगे स्टॉलों पर आकर आप पहाड़ का हर उत्पाद ले सकते है…अपने लोगों को भेंट कर सकते है…तो चला मुबंई कौथिग जौला…अपणी संस्कृति का गीत लगौला…।

देवभूमिसंवाद.कॉम के लिए मुंबई से जगमोहन ‘आज़ाद’ की रिपोर्ट

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