कई दिनों से उत्तराखंड की मूल निवासी महिलायें नैनीताल हाई कोर्ट के महत्वपूर्ण ‘क्षैतिज आरक्षण’ देने के फैसले का इंतजार कर रही थी। हाईकोर्ट के इस फैसले का उत्तराखंड सरकार को भी बेसब्री से इंतजार था। आज सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।
अब तक उत्तराखंड सरकार जनरल कोटे से 30 प्रतिशत आरक्षण उत्तराखंड की महिलाओं को दे रही है, जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी गई है। बता दें कि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से 18 जुलाई 2001 और 24 जुलाई 2006 के शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है।
गौरतलब है कि हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जिसकी वजह से वे आयोग की परीक्षा से बाहर हो गए हैं।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरएस खुल्बे की खंडपीठ में हरियाणा की पवित्रा चौहान समेत अन्य की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें आयोग की अक्टूबर में तय मुख्य परीक्षा में बैठने की अंतरिम अनुमति मांगी गयी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आयोग की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने को कहा है। कोर्ट ने इस मामले राज्य सरकार और लोक सेवा आयोग से 7 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। कोर्ट के आदेश के बाद अब सरकार इस रोक को हटाने के लिए कानूनी रास्ते तलाशने को मंथन में जुट गई है।
Uttarakhand High Court stays State government order providing 30% reservation in State services to women having domicile of the State.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 24, 2022