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उत्तराखंड में सहायक अध्यापकों की भर्ती पर लगी रोक हट गयी है। नैनीताल हाई कोर्ट ने बुधवार को सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया के मामले पर सुनवाई के बाद भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाते हुए सरकार को अभ्यर्थियो को नियुक्ति प्रकिया में सम्मिलित करते हुए भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ करने के निर्देश दिए हैं। ये नियुक्तियां अंतत: अदालत के आदेश के अधीन रहेंगी। अदालत ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि इनकी नियुक्ति 2012 की नियमावली व शिक्षा का अधिकार अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत करें। कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में 2600 बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।

बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिये। याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार की ओर से सहायक अध्यापक के लगभग 2600 पदों को भरने के लिये दिसंबर, 2018 में एक विज्ञप्ति जारी की गयी थी।

सरकार ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से डीएलएड प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया है जबकि केन्द्र सरकार व राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने इन अभ्यर्थियों को मान्यता दी है। ऐसे में राज्य सरकार का यह कदम गैर कानूनी है।

इन तर्कों के आधार पर पूर्व में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उक्त शासनादेश पर रोक लगाते हुए इन अभ्यर्थियों को भी सहायक अध्यापक प्राथमिक शिक्षा की भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने को कहा था। आज राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने इन अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के निदेर्श दे दिये हैं। जिसके बाद अब राज्य में 2600 बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।