nav srjan kala praveen avaard

श्रीनगर गढ़वाल : सच्चे समर्पण व निष्ठा से कार्य करने का पारितोषिक निश्चित रुप से मिलता है। इस सत्यता को नकारा नही जा सकता है। इस सत्यता की प्रमाणिकता राइका सुमाडी मे हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला पर पूर्ण रुप से चरितार्थ होती है। चमोला इस तरह के उभरते हुये साहित्यकार हैँ जो अपने अध्यापन कार्य करने के साथ ही निरन्तर भावी पीढी के लिये प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन करने का अतुलनीय कार्य कर रहे हैँ। लॉकडाऊन की अवधि मेँ जहाँ पूरे देश मे भयावह की स्थिति बनी हुई थी। वहीँ चमोला प्रेरणा दायिनी साहित्य का सृजन करके आम जन मानस के मनोबल मेँ वृद्वि करने का सराहनीय कार्य करने पर लगे हुये थे। उनके प्रेरणा दायिनी साहित्य की राष्ट्रीय स्तर पर अनुशन्सा देखने को मिल रही है। आज राष्टीय स्तर की सँस्थायेँ चमोला के कार्योँ को देखते हुये उन्हें विभिन्न सम्मानोपाधियोँ से सम्मानित कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही़ हैं। अभी कुछ समय पहले ही वह अखिल भारतीय राजभाषा हिन्दी सेवी सम्मान से सम्मानित हुये, उसके तुरन्त बाद छत्रपति प्रशिक्षण सँस्थान कानपुर ने उन्हें नव सृजन कला प्रवीण अवार्ड से सम्मानित किया। आयोजित कार्यक्रम मेँ प्रशिक्षण सँस्थान के अध्यक्ष डाँ. अनिल कुमार कटियार ने कहा कि चमोला एक शिक्षक होने के साथ ही बहुत बडे लेखक भी हैं। इनका सृजन भारतीय सँस्कृति तथा भावी पीढी पर केन्द्रित है। भावी पीढी के सन्दर्भ मेँ उनके समर्पण का आकलन इस रुप मे भी किया जा सकता है कि उनके द्वारा विभिन्न विद्यालयोँ मे अध्ययनरत छात्र छात्राओँ को साढे नौ सौ से भी अधिक पुस्तकेँ निशुल्क वितरित कर चुके हैँ। लेखन कार्य के साथ ही नशा उन्मूलन के क्षेत्र मेँ भी चमोला की उत्कृष्ट पहल है। वे अब तक 5000 से अधिक युवाओँ को नशा न करने का सँकल्प तथा प्रतिज्ञा दिलवा चुके हैँ। जनपद पौडी गढवाल शिक्षा विभाग मे इनके द्वारा लिखित प्रतिज्ञा का सस्वर वाचन किया जाता है। जहाँ भी विवाह शादी मे उन्हें निमन्त्रण पत्र मिलता है। वहाँ जाने से पहले शादी में शराब का सेवन न करने की अपील करते हैं।